मुरैना। चंबल संभाग का मुरैना वह जिला है, जहां प्रदेश में सबसे कम बेटियां हैं। लेकिन इस सिक्के का दूसरा पहलू हैं जिला मुख्यालय निवासी मध्यम वर्गीय दंपति मनोज और ममता शर्मा। ये वो माता-पिता हैं जिन्होंने 5 साल की बोन कैंसर पीड़ित बेटी की जान बचाने के लिए पूरे 10 साल संघर्ष किया। अपनी जमा पूंजी भी खर्च कर दी। आज इनकी बिटिया पूरी तरह से इस बीमारी से मुक्त है और सामान्य बच्चों की ही तरह अपनी जिंदगी जी रही है।

न्यू हाउसिंग बोर्ड में रहने वाले मनोज शर्मा और ममता शर्मा को साल 2009 में पता चला था कि उनकी पांच साल की बेटी उन्नति शर्मा को बोन कैंसर है। दंपति ने बिना देर किए बेटी का उपचार पहले दिल्ली और फिर मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में शुरू करवाया। उन्हें बताया गया था कि उपचार में बहुत पैसे खर्च करने पड़ेंगे। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि बेटी ही तो है, क्यों जिंदगीभर की पूंजी बर्बाद कर रहे हो। लेकिन मनोज और ममता ने संघर्ष जारी रखा। दोनों की लगन रंग लाई और उन्नति इस बीमार से छुटकारा पा चुकी है। वह फिलहाल 9वीं कक्षा में है और उन्नति की बड़ी बहन रानू शर्मा जयपुर में कानून की पढ़ाई कर रही है।

मनोज शर्मा कहते हैं कि साल 2010 में जब वह दिल्ली में उन्नति का उपचार करा रहे थे। उसी दौरान बेटी स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गई। हालत इतनी खराब हो गई कि उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। बेटी का इलाज जारी रखने के लिए ममता ने अपने जेवर दिल्ली में ही बेच दिए। संघर्ष का असर रहा कि उन्नति स्वाइन फ्लू की चपेट से भी बाहर आ गई।

उन्नति के पिता ने बताया कि साल 2011 में तत्कालीन मुरैना कलेक्टर एमके अग्रवाल को उनके संघर्ष की कहानी पता चली। कलेक्टर ने मनोज से कहा कि वे सरकारी मदद ले लें। इस पर उन्होंने कलेक्टर से मदद यह कहते हुए नहीं ली कि वह अपनी बेटी के इलाज के लिए अपनी सारी कमाई लगा देंगे। जब कुछ नहीं रहेगा तब ही कोई मदद लेंगे।

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