पन्ना ! शासन स्वास्थ्य सेवाओं में करोड़ों रूपयें खर्च कर रही है, ताकि हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंच सकें, लेकिन शासन की यह मंशा निर्धनता के आगे बोनी साबित हो रही है, शाहनगर क्षेत्र अन्तर्गत आने वाला गांव सिंहारन निवासी 4 वर्षीय बालक निर्धनता के आगे दर्द भरी जिंदगी जी रहा है और यह आज से नही बल्कि जन्म के एक वर्ष बाद से इसे हाईड्रोसील नाम रोग ने जकड़ लिया लेकिन, ईलाज के नाम पर इनके परिजनों के पास फूटी कोड़ी तक नही, जिस कारण बिना दवा किये ही बेबसी की जिंदगी जीने को मजबूर है।
तन पर कपड़े नहीं कैसे कराये ईलाज: ग्राम सिंहारन निवासी हल्लू आदिवासी का 4 वर्षीय पुत्र शिवम आदिवासी जो तीन वर्षो से हाईड्रोसिल नामक रोग से पीडित है, लेकिन परिजनों के पास इनता पैसा भी नही कि उसका उपचार करा सकें, पीडि़त बच्चें के पिता ने बताया कि मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण कर रहा हॅू, साल में 6 माह तो बिना मजदूरी के दिन गुजारना पड़ता है, यहां तक कि बच्चें के तन ढंकने के लिए कपड़े नहीं है तो मंहगा उपचार कहा से कराये।
लूटते रहे झोलाछाप
इन लोगों ने बताया कि मेहनत मजदूरी कर कुछ पैसा जुटाया और झोलाछाप डॉक्टरों को दिखाया जहां इन लोगो ने मेहनत की पूरी कमाई ले ली लेकिन इनके द्वारा दी गई दवाओं से कुछ लाभ न मिला और इसके बाद फिर किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र में नहीं दिखाया।
विगत तीन वर्षो से दर्द भरी जिदंगी जीने को मजबूर इस बालक के सामने वह तमाम शासकीय योजनाएं बेबस है जो स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर बनाई गई है, तो वही प्रत्येक अंतिम व्यक्ति की मदद करने का दम भरने वाली स्वयं सेवी संस्था भी इस नन्हे बालक के सामने लाचार साबित हो रही है जो अब तक इस बालक की सुध नही ली, उल्लेखनीय है कि पीडित पुत्र के माता पिता उसे स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र भी लेकर गये लेकिन वहां चिकित्सकों ने इस बच्चें की बेबसी पर गंभीरता नही दिखाई, जिसके परिणाम स्वरूप गरीब परिवार का 4 वर्षीय मासूम दर्द भरी जिदंगी जीने को मजबूर है जिसे आज भी उपचार का इंतजार है।