जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35ए की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में इस हफ्ते सुनवाई हो सकती है. पुलवामा हमले में 40 जवानों की शहादत के बाद माना जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार का रुख मुद्दे पर बदल सकता है. ऐसे में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आग से न खेलने की चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अनुच्छेद 35ए पर हमला किया गया तो उन्हें नहीं पता कि कश्मीर के लोग तिरंगे के बजाय कौन सा झंडा उठा लेंगे.

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘आग से मत खेलें, 35ए का बाजा न बजाएं. अगर ऐसा हुआ तो आप वो देखेंगे जो 1947 से अब तक नहीं हुआ है. अगर इस पर हमला किया जाता है तो मैं नहीं जानती कि जम्मू कश्मीर के लोग तिरंगे की जगह कौन सा झंडा पकड़ने को मजबूर हो जाएंगे.’ इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला ने कहा था कि केंद्र और राज्यपाल की सिर्फ एक जिम्मेदारी बनती है कि वे चुनाव कराएं और लोगों को फैसला लेने दें. नई सरकार अनुच्छेद 35ए को बचाने के लिए खुद फैसला करेगी.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35ए की वैधानिक मान्यता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पहले से ही चल रही है. लेकिन पुलवामा हमले के बाद बाद एक बार फिर अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाने की मांग ने जोर पकड़ा है. हालांकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में एक दिन पहले अपना रुख साफ किया है कि अनुच्छेद 35ए पर सिर्फ चुनी हुई सरकार ही फैसला ले सकती है.

अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को राज्य में स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है. इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर से बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता. इसके साथ ही किसी बाहरी व्यक्ति के यहां की महिला से शादी करने पर भी संपत्ति पर उसका अधिकार नहीं हो सकता.

14 मई 1954 को देश पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर संविधान में अनुच्छेद 35ए जोड़ा गया था. यह आदेश महाराजा हरि सिंह और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के तहत दिया गया था. राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 (1) (d) के जरिए अनुच्छेद 35ए का प्रावधान किया था. इसके मुताबिक राष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर के हित में कुछ खास ‘अपवादों और परिवर्तनों’ को लेकर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

कई लोगों का मानना है कि संविधान में अनुच्छेद 35ए जोड़ने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. क्योंकि संविधान में अनुच्छेद 35ए के लिए संविधान संशोधन का कानून पास नहीं कराया गया था.

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