ग्वालियर। मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के भिण्ड जिले में लडकियों के जन्म को एक अभिशाप माना जाता था इसलिए पहले तो लडकियों को जन्म से पहले ही गर्भ में मार दिया जाता था। अगर बेटी का जन्म हुआ भी तो उन्हें बाद में मार देने की कुप्रथा थी। यही कारण था कि तमाम प्रयासों के बाद भी भिण्ड जिले में लडकियों के लिंगानुपात में बढोतरी नहीं हो पा रही थी। मध्यप्रदेश का भिण्ड जिला लिंगानुपात में पहले स्थान पर था। प्रदेश सरकार द्वारा लडकियों के लिए शुरु की गई तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं और सरकार के सख्त कानून के कारण लोगों में जागरुकता आई है।
भिण्ड जिले के गोहद विकास खण्ड के मौ कस्बे का गांव गुमारा एक ऐसा गांव है जहां पिछले 40 साल से कोई डोली नहीं उठी है। इस गांव में 1977 से 1990 तक 14 साल में किसी भी घर में एक भी बच्ची का जन्म नहीं हुआ है। ग्राम पंचायत अंगसौली के मजरा गुमारा में 1974 से 1976 के बीच पूरन सिंह ओझा की बेटी राममूर्ति, पंचम श्रीवास की बेटी मुन्नी, ख्याली सिंह की बेटी भूरी का विवाह हुआ था। उसके बाद आज तक कोई डोली नहीं उठी है।
1977 से 1990 के बीच गांव में बेटियां हुई ही नहीं। 1995 में लडकियों का लैंगिक अनुपात 10 लडकों पर 2 लडकी का था। 2000 में 4 और 2016 तक 10 लडकों पर सात लडकियां हो गई। गोहद विकास खण्ड के खरौआ गांव के सरपंच बंटी गुर्जर द्वारा वर्ष 2012 में अपनी नवजात बेटी की हत्या कर दिए जाने के बाद शव दफना दिए जाने से उनके परिजनों पर हत्या का मामला दर्ज किया जाकर उनको जेल भेजा गया था। इस पूरे मामले में तब के सरपंच रामअख्तियार सिंह गुर्जर ने अपनी सक्रिय भूमिका दिखाकर अपराध दर्ज कराया था।
ग््राम पंचायत अंगसौली के सरपंच तिलक सिंह गुर्जर ने बताया कि गांव में अब लडकियों की संख्या बढ रही है। बेटियों को शिक्षित बनाने के लिए स्कूल भेजा जा रहा है। जो बेटियां विवाह योग्य है उनकी शादी की तैयारी की जा रही है। लंबे समय बाद गांव में बारात आने की गांव वालों में खुशी है।
मौ की महिला सशक्तिकरण अधिकारी चन्द्रप्रभा पाठक ने बताया कि गर्भवती महिलाओं का आशा व आंगनबाडी कार्यकर्ता गांव की महिलाओं का नियमित चेकअप कर रही है। गर्भवती महिलाओं पर पूरी तरह निगाह रखी जा रही है। निगरानी से अब भू्रण हत्या पर काफी हद तक रोक लगी है। जिस गांव में एक भी बेटी नहीं थी अब 10 लडकों पर 7 लडकियां है।