भोपाल। जलसंसाधन विभाग के जलाशयों, नहरों, तालाबों और बांधो से सिचाई के लिए पानी लेने वाले किसानों ने सालों से सरकार के 526 करोड़ 24 लाख रुपए का शुल्क नहीं चुकाया है। कोरोना के कारण सभी विभागों की माली हालत खराब चल रही है। ऐसे में अब जल संसाधन विभाग इस करोड़ों की राशि की उगाही करने के लिए अब बकायादारों पर शिकंजा कसने जा रहा है।
जलसंसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता मदन सिंह डाबर ने मुख्य अभियंता जलसंसाधन, चं ल बेतवा कछार, गंगा कछार, बाणसागर परियोजना, नर्मदा ताप्ती कछार, यमुना कछार, राजघाट नगर परियोजना, धसान केन कछार और जलसंसाधन विभाग होशंगाबाद के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि उनके क्षेत्रों में राजस्व वसूली लगातार बढ़ रही है। वसूली में तेजी लाए और राजस्व वसूली का प्रतिवेदन हर माह संभागवार कछारवार भेजे। उन्होंने किसानों पर बकाया जलकर की वसूली करने को कहा है। साथ ही उद्योगों, नगरीय निकायों, बिजली कंपनियों को प्रदाय जल की जलकर की वसूली करने को कहा है।
निजी पावर प्लांट,उद्योग, एनटीपीसी की राजस्व वसूली की जानकारी अलग-अलग भेजने को कहा गया है। हर माह दस तारीख तक यह जानकारी सभी से मांगी गई है। किसानों पर प्रदेशभर में वर्ष 2020 तक ही 453 करोड़ 76 लाख रुपए की वसूली करना बकी थी। इस साल की चालू मांग भी 72 करोड़ 47 लाख रुपए बाकी है। कुल मिलाकर किसानों पर नया, पुराना राजस्व मिलाकर 526 करोड़, 24 लाख 14 हजार 200 रुपए वसूली करना बाकी है।
इस वर्ष के लिए अफसरों को 65 करोड़ 54 लाख रुपए की वसूली का लक्ष्य दिया गया है।अभी तक लक्ष्य के विरुद्ध केवल पचास फीसदी वसूली ही हो पाई है। अलग अलग कछार और संभागों में 33 करोड़ 70 लाख रुपए की वसूली हो पाई है।
कछार सिवनी मं सर्वाधिक 105 फीसदी वसूली हुई है। यहां लक्ष्य 690 लाख रुपए का था इसके विरुद्ध 759 लाख रुपए की वसूली कर ली गई है। सिवनी के अलावा होशंगाबाद संभाग ने 85 फीसदी वसूली कर ली है। यहां कुल 1022 लाख रुपए की वसूली कर ली गई है। रीवा में 59 फीसदी वसूली हुई है। दतिया, सागर, ग्वालियर, बेतवा कछार भोपाल में वसूली काफी कम है। यहां पचास फीसदी राशि भी वसूल नही हो पाई है।