भिण्ड। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित भिण्ड में वर्ष 2008 में हुए 18 करोड रुपये से ज्यादा के कथित फर्जी किसान ऋण माफी मामले सहित अन्य तमाम आर्थिक अनियमितताओं के मामले में कार्यवाही की मांग को लेकर बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वाय. के सिंह व तत्कालीन अध्यक्ष श्यामसुन्दर सिंह जादौन सहित शासन व सहकारिता विभाग के लगभग एक दर्जन अध्किारियों के बिरुद्ध उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर से 30 नवम्बर को सभी प्रतियाचिकाकारों को नोटिस जारी करके उनसे छह सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये है।
याचिकाकार किसान रामअवतारसिंह भदौरिया पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत धरई जिला भिण्ड द्वारा याचिका में प्रमुख सचिव सहकारिता मध्यप्रदेश, आयुक्त-सहपंजीयक सहकारिता म.प्र., कलेक्टर भिण्ड, संयुक्त पंजीयक सहकारिता चम्बल सम्भाग, उपपंजीयक सहकारिता भिण्ड, प्रबंध संचालक म.प्र. राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक), अध्यक्ष जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक भिण्ड, पुलिस अधीक्षक विशेष पुलिस लोकायुक्त ग्वालियर, पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध ब्यूरो ग्वालियर, योगेन्द्र कुमार सिंह चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफीसर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक भिण्ड व श्यामसुन्दर सिंह जादौन चेयामेन जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक भिण्ड को प्रतियाचिकाकार बनाया गया है।याचिका में कहा गया है कि उक्त अनियमितताओं के संबंध में किसानों से प्राप्त शिकायतों पर शासन द्वारा विस्तृत जॉंच संपादित कराई गई और प्रतियाचिकाकार वायके सिंह व तत्कालीन बैंक अध्यक्ष के विरुद्ध शेष प्रतियाचिकाकारों को पत्राचार करके कार्यवाही करने की अपेक्षा की गई, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई, जिससे मामला न्यायालय के समक्ष लाना पडा।
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक से संबद्ध 167 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में वर्ष 2008 की ऋण राहत व ऋणमुक्ति योजना के तहत 8877 किसानों की फर्जी तरीके से लगभग 18 करोड 84 लाख रुपये की ऋण माफी की अनियमित कार्यवाही का खुलासा भिण्ड जिले के तत्कालीन उपायुक्त सहकारिता अखिलेश जैन ने 2010 में की जॉंच में किया था। उन्होंने 19 नवम्बर 2010 को म.प्र. राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध संचालक को लिखे पत्र में महाप्रबंधक वाय.के. सिंह को तत्काल निलंबित करने और उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के साथ-साथ फर्जी और संदिग्ध कार्यवाही में उनका सहयोग करने बाले बैंक के अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्यवाही करने के लिये बैंक के संचालक मण्डल तथा कलेक्टर को लिखने की मांग की गई थी। मध्यप्रदेश विधानसभा में भी इस मामले की गूॅज हो चुकी है।