बदायूं। यूपी के बदायूं से एक दर्दनाक खबर सामने आई है, जहां बुजुर्ग मां की मौत से बेटे को गहरा सदमा लगा। वह मां के शव से लिपटकर रोने लगा। रोते-रोते उसने भी दम तोड़ दिया। एक घर से दो अर्थियां उठीं तो घर में कोहराम मच गया। मां और बेटे दोनों बीमार चल रहे थे। दरअसल, पूरा मामला उझानी कस्बे का है। जहां 65 वर्षीय कमलेश का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया। मां की मौत का सदमा जवान बेटा दीपक सहन नहीं कर सका। वह मां के शव से लिपटकर रोने लगा। कुछ ही देर बाद उसकी भी मौत हो गई। 

जानकारी के मुताबिक, बीमारी के चलते कमलेश अपने बेटे का ख्याल नहीं रख पा रही थी। दीपक को भी पीलिया हो गया था। कमलेश का पति पुरषोत्तम उर्फ़ भूरे शादी बारातों में खाना बनाने का काम करता था। उसका कमलेश से आये दिन झगड़ा होता रहता था। एक साल पहले हुए पति-पत्नी के झगड़े में भूरे ने कमलेश को धक्का दे दिया और कमलेश जमीन पर गिर गई। जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। 

कमलेश बीते एक साल से बेड पर ही थी। भूरे परिवार में अधिक रूचि नहीं रखता था। जिसके चलते  कमलेश को ही अपना और दोनों बेटो का ध्यान रखना पड़ता था। दीपक (22) और कुलदीप (17) अक्सर बीमार रहते थे जिससे मां की देखभाल करने की जगह वो खुद कमलेश पर आश्रित थे। छोटा बेटा कुलदीप दिव्यांग है। मोहल्ले वालों का कहना है कि बावजूद इसके भूरे ने पत्नी के इलाज पर ध्यान नहीं दिया। 

बुधवार की रात कमलेश का निधन हो गया।  सुबह कुलदीप ने मां को उठाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं उठी। मां के गम में दोनों बेटे बेसुध थे और सुबह तक़रीबन 7 बजे दीपक ने मां के शव के पास रोते-रोते दम तोड़ दिया। दीपक यही कहकर रोए जा रहा था कि मां के बाद हमारा ख्याल कौन रखेगा। वहीं, इस पूरी घटना के दौरान पिता पुरषोत्तम उर्फ़ भूरे नदारद था। मोहल्ले वालों ने उसे बुलाया लेकिन वो घर में भी नहीं घुसा। 

मामले में उझानी नगरपालिका के वार्ड 13 के सदस्य आकाश शर्मा ने बताया कि ऐसा ही पुरषोत्तम ने 3 साल पहले अपने बड़े बेटे विष्णु के देहांत के समय किया था। पति-पत्नी में मनमुटाव इतना अधिक था कि भूरे ने विष्णु का शव अपने घर के अंदर भी नहीं रखने दिया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद विष्णु का शव भूरे ने घर में तो लिया लेकिन उसे हाथ तक नहीं लगाया। 

कल जब मां-बेटे के शव घर में पड़े थे तब भी पुरषोत्तम घर से गायब था। अंतिम संस्कार न करना पड़े, इसीलिए वो घर के अंदर भी नहीं घुसा। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद पुरषोत्तम घर गया भी लेकिन अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं हुआ। जिसपर पुलिस ने पुरषोत्तम के भाई राकेश जो कि दिल्ली में रहते हैं उनको सूचना दी। तब जाकर शवों का अंतिम संस्कार हुआ।