नई दिल्ली । कई लोगों को लगता है कि अगर वह कैश में ट्रांजेक्शन करेंगे तो इस बारे में आयकर विभाग को पता नहीं चलेगा. लेकिन ऐसा हर बार नहीं होगा. कुछ ऐसी ट्रांजेक्शन हैं जहां आप बहुत ज्यादा कैश इस्तेमाल करते हैं तो आपको आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है. आज हम आपको ऐसी ही 5 तरह की ट्रांजेक्शन के बारे में बताने जा रहे हैं।
इन 5 ट्रांजेक्शन में सेविंग्स अकाउंट, एफडी (FD), स्टॉक परचेज (stock purchase), क्रेडिट कार्ड का बिल पेमेंट (credit card bill payment) और प्रॉपर्टी से संबंधित लेनदेन है. आइए इनके बारे में एक-एक कर जानते हैं कि कैसे ये लेनदेन आपके गले की हड्डी बन सकते हैं।
बचत खाते में जमा
अगर एक वित्त वर्ष में किसी सेविंग्स अकाउंट में कैश डिपॉजिट 10 लाख से ऊपर जाता है तो खाताधारक के लिए मुसीबत हो सकती है. सरकार की ओर से यही लिमिट सेट की गई है. 1 अप्रैल से 31 मार्च तक सेविंग्स अकाउंट में 10 लाख रुपये से ज्यादा कैश नहीं डाल सकते. अगर रकम इससे ऊपर जाती है तो बैंक सीबीडीटी को इस बारे में सूचना दे देगा।
कैश से एफडी
यहां भी सेविंग्स अकाउंट वाला ही नियम लागू होगा. अगर कोई एक वित्त वर्ष के अंदर 10 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश कैश में करता है तो उसे इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिल सकता है. अगर आप अलग-अलग अकाउंट में छोटा-छोटा अमाउंट भी जमा करते हैं लेकिन ये कुल मिलकर 10 लाख रुपये से अधिक हो जाता है तो भी आप अथॉरिटी की नजर में आ जाएंगे।
स्टॉक-म्यूचुअल फंड की खरीद
अगर आप स्टॉक, म्यूचुअल फंड या बॉन्ड में निवेश कैश के जरिए करते हैं तो वह भी आप 10 लाख रुपये से अधिक नहीं कर सकते. इससे आयकर विभाग जरूर सचेत हो जाएगा लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि आपको पहली बार में ही नोटिस आ जाए. हालांकि, अगर विभाग ने जांच की और उसे कुछ गड़बड़ नजर आई तो जरूर परेशानी गले पड़ सकती।
कैश में क्रेडिट का बिल भुगतान
इस संबंध में कोई तय नियम तो नहीं है कि आप क्रेडिट कार्ड बिल का कितना भुगतान कैश में कर सकते हैं फिर भी अगर आप महीने में 1 लाख रुपये से ज्यादा का बिल पेमेंट कैश से करते हैं तो आप विभाग की नजर में आते हैं. विभाग इसके बाद फंड के स्रोत का पता लगाने लगता है।
प्रॉपर्टी से संबंधित कैश भुगतान
अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं और आपको लगता है कि आप सारी पेमेंट कैश में करके आयकर विभाग की नजर से बच जाएंगे तो आप गलत हैं. शहर में 50 लाख रुपये और गांव में 20 लाख रुपये या उससे अधिक की प्रॉपर्टी खरीदने पर आपको आयकर विभाग को बताना होता है कि इतने फंड का इस्तेमाल कहां हो रहा है. कई राज्य इस मामले में अपने अलग नियम भी बनाते हैं।