हमारे देश में कई पर्व-त्योहार, पूजा-पाठ होते हैं. कई तरह के बड़े पर्व मनाए जाते हैं. इन सभी पर्व त्योहरों में लोग पूजा-पाठ करने के साथ ही अपनी श्रद्धा से व्रत यानी उपवास रखते हैं. अभी कुछ दिनों पहले शारदीय नवरात्रि समाप्त हुआ है. अधिकतर लोग नवरात्रि पर व्रत रखते हैं. पूजा-पाठ करते हैं.
करवा चौथ, तीज, जीतिया, छठ पूजा, कोई भी पर्व हो, लोग उपवास रखते हैं. कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, तो कुछ फलाहार करके व्रत को पूरा करते हैं. क्या आप जानते हैं कि व्रत करने के भी कुछ फायदे होते हैं. जरूरी नहीं कि सिर्फ पर्व-त्योहार में ही उपवास रखें. आप इसे महीने में कभी भी एक दिन रख सकते हैं. व्रत रखने के सही नियमों के बारे में वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने बहुत अच्छी जानकारी दी है. अपने यूट्यूब चैनल पर उन्होंने बताया है कि कब व्रत रखना चाहिए और क्या है फलाहार का मतलब. प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि हर किसी को महीने में दो या चार बार व्रत रखना चाहिए. सब को भूखा रहना चाहिए. आप चाहें तो सप्ताह में एक बार भी व्रत रख सकते हैं या फिर 15 दिनों में एक बार व्रत रख लें. इसमें क्या जाता है. ऐसे करने से कुछ भी नहीं बिगड़ेगा आपका.
वह अपने वीडियो में आगे कहते हैं हैं कि आजकल तो व्रत लोगों के लिए मनोरंजन जैसा हो गया है. वैसा व्रत नहीं रखना चाहिए. उस व्रत की बात हम नहीं कर रहे. कुट्टू तो बहुत महंगा होता है. लोग व्रत में कुट्टू की पूड़ी, सिंघाड़े का हलवा, सामक के चावल के खीर आदि खाते हैं. ये सभी महंगी चीजें हैं. अंगूर, सेब, संतरा…ऐसे फलाहार से तो हम मना करते हैं. घर बर्बाद करोगे अपना. फिर तो ऐसा फलाहार रोज मिले तो बहुत बढ़िया है.
फलाहार का मतलब होता है कि आज हम व्रत कर रहे हैं तो 12 बजे दिन तक कुछ नहीं खाएंगे. बारह बजे थोड़ा पानी पी लिया और फिर शाम के 4 बजे कुछ फल, मीठा, दूध ऐसे कुछ सात्विक प्राण पोषण चीजें थोड़ी सी खाएंगे. बस, फिर रात में कुछ नहीं लिया. वह कहते हैं कि एक दिन में कोई व्रत रखकर मर थोड़े ही जाएगा.