इंदौर। अक्षय तृतीया के विशेष अबूझ मुहूर्त में 12 आचार्यों ने हाथ थाम जैसे ही विशुद्धसागरजी महाराज को पट्टाचार्य सिंहासन पर विराजित कराया पूरा पंडाल शंखनाद, नगाड़े, घंटे, ढोल, मंजीरे, लाखों श्रद्धालुओं की तालियों की गडग़ड़ाहट के गुंजायमान हो उठा। दक्षिण दिशा से आए गणाचार्यों ने मंत्रोच्चारण किया तो मुनि महाराज व आर्यिकाओं ने आशीर्वाद ले नमोस्तु किया।

गांधीनगर स्थित सुमतिधाम में आज पट्टाचार्य महोत्सव का मुख्य आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। सुबह मंगल यात्रा निकाली गई, जिसके लिए अनुयायियों और धर्मावलंबियों ने सुबह पांच बजे से ही अपना स्थान ग्रहण कर लिया था। सात बजे के बाद तय किए गए मुहूर्त पर विशेष मंत्रोच्चारण शुरू हुआ। अष्टकुमारियों ने कलश स्थापना की। पट्टाचार्यों ने भूमि शुद्धि की। गोधा स्टेट के गुरुभक्त परिवार मनीष और सपना गोधा ने पवित्र नदियों से लाए जल, गंध्योधक, चंदन से सिंहासन का शुद्धिकरण किया और उसके बाद 12 आचार्यों ने हाथ थामकर विशुद्धसागरजी महाराज को पट्टाचार्य सिंहासन पर बैठाकर अपने महाराज को पथ-प्रदर्शक के रूप में न केवल सुशोभित किया, बल्कि अनुमोदना और स्वीकारोक्ति से सहमति भी दी। सुमतिनाथ दिगंबर जिनालय गोधा स्टेट में मानो वक्त थम गया। 12 आचार्य, 8 उपाध्याय और 140 मुनि महाराजाओं ने अपने पट्टाचार्य को स्थापित किया।
स्वर्ण-रजत जल से पाद प्रक्षालन
मनीष सपना गोधा ने स्वर्ण-रजत कलश जल से पट्टाचार्य के पद पर विराजित विशुद्धसागर महाराज के चरणों का प्रक्षालन किया और उस जल को अपने माथे से लगाया। लाखों की तादाद में पहुंचे श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सुमतिधाम परिसर को ही छोटा घोषित कर दिया। रजिस्ट्रेशन नहीं करने वाले भी हजारों की संख्या में पहुंचे, जिन्हें स्वाध्याय भवन से लाइव प्रसारण दिखाने की व्यवस्था की गई। पूरे परिसर में एलईडी टीवी लगाई गईं, ताकि पूरे आयोजन का साक्षी हर दर्शनार्थी बन सके ।
आज्ञा से बने पट्टाचार्य
आचार्यश्री विशुद्धसागर महाराज की शिक्षा-दीक्षा, गुरु व आचार्य पद प्रदान करने वाले गणाचार्य विरागसागरजी महाराज ने अपनी मृत्युपूर्व मृत्यु को जान लिया था। अपनी समाधि के एक दिन पूर्व ही उन्होंने वीडियो रिकार्ड कराया और अपने 550 शिष्यों को कहा कि आचार्य विशुद्धसागर महाराज संपूर्ण संघ का संचालन करेंगे। सभी उन्हीं की आज्ञा में चलेंगे।
आदेश को शिष्यों ने दिया मान
अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर आचार्यश्री विशुद्धसागर महाराज ने गणाचार्य विरागसागरजी की आज्ञा से पट्टाचार्य की उपाधि ली। विधानाचार्य धर्मचंद्र शास्त्री, चंद्रकांत इंडी, नितिन झांझरी के निर्देशन में सुबह 5.15 बजे स्तुति, देव स्तवन, आचार्य वंदना, स्वाध्याय के पश्चात सुबह 6 बजे अभिषेक व शांतिधारा की विधियां संपन्न हुईं। प्रात: 6.30 बजे मंगल जुलूस परिसर में ही निकला। प्रात: पट्टाचार्य पद प्रतिष्ठा संस्कार समारोह 36 संस्कार विधि-विधान से किया गया, जिसमें कलश स्थापना, भूमि शुद्धि, स्थान शुद्धि व सिंहासन की शुद्धि के बाद समाज व गुरुभक्तों के निवेदन को स्वीकारते हुए विशुद्धसागर महाराज को सिंहासन पर बैठाया गया। दीपक स्थापना, पीठ शुद्धि के साथ पट्टाचार्य पद के माता-पिता बनने का सौभाग्य सपना-मनीष गोधा परिवार को प्राप्त हुआ। इसी के साथ रात्रि में आरती, लेजर शो व ड्रोन शो के साथ ही सम्राट खारवेल नाटिका का मंचन कलाकारों द्वारा किया जाएगा।