नई दिल्ली: देश की 76 प्रतिशत आबादी वाले 57 प्रतिशत जिलों के लिए भीषण गर्मी जोखिम का कारण बन रही है। गैर सरकारी संगठन काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायनरमैंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) ने एक नए अध्ययन में कही है। अध्ययन में कहा गया है कि जिस तरह से भारतीय शहर और जिले लगातार जटिल तथा अनिश्चित जलवायु पैटर्न का सामना कर रहे हैं उससे भीषण गर्मी का प्रबंधन तत्काल जरूरी हो जाता है। इस अध्ययन में सामने आया है कि गर्मी के सर्वाधिक जोखिम वाले शीर्ष 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली, आंध्र प्रदेश, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
सीईईडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में 35 संकेतकों के आधार पर इस संबंध में भारत के 734 जिलों का अपनी तरह का पहला जोखिम आकलन पेश किया है। यह मूल्यांकन 1982 से 2022 तक जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी के जोखिम के रुझानों में आए बदलावों की विस्तृत जानकारी देता है।

इनमें से 417 जिले अधिक और बहुत अधिक जोखिम वाली श्रेणी में, जबकि 201 जिले मध्यम जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं। कम जोखिम श्रेणी में आने वाले शेष 116 जिले भी सुरक्षित नहीं हैं, बल्कि वे सिर्फ तुलनात्मक रूप से कम प्रभावित हैं। सीईईडब्ल्यू अध्ययन इन 3 प्रमुख रुझानों को रेखांकित करता है, बहुत गर्म रातों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हो रही है, उत्तरी भारत में, विशेष रूप से सिंधु-गंगा के मैदान में सापेक्षिक आद्र्रता बढ़ रही है और दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, भोपाल और भुवनेश्वर जैसे घने, शहरी और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण जिलों में गर्मी का जोखिम बहुत अधिक है। इसके अलावा महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ ग्रामीण जिले जहां पर कृषि कार्यों से जुड़े खुले में काम करने वाले श्रमिक बड़ी संख्या में हैं वहां भी अधिक से बहुत अधिक गर्मी के जोखिम वाली श्रेणी में पाए गए हैं।