भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के तीसरे दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे से मंत्री बने उमंग सिंगार की कुर्सी खतरे में आ गई है। एआईसीसी की जांच में उमंग सिंघार को अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया है। यदि संगठन नियम अनुसार उन्हें निष्कासित करने की कार्रवाई करता है उमंग सिंघार को अपने पद से इस्तीफा देना होगा। या फिर मंत्री उमंग सिंघार की कुर्सी बचाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को कुछ समझौते करने पड़ सकते हैं। बता दें कि उमंग सिंगार नाटक कमलनाथ कैंप को पसंद आ रहे हैं और ना ही दिग्विजय सिंह गुट को। इसके अलावा वह आईएएस लॉबी के निशाने पर भी है।

तीन महीने पहले कांग्रेस के अंदर सियासी घमासान मचाने वाले उमंग सिंघार और दिग्विजय विवाद में फैसले की घड़ी पास आ रही है। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय अनुशासन समिति के अध्यक्ष ए. के. अंटोनी की रिपोर्ट के परीक्षण में पूर्व लोकसभा स्पीकर शिवराज पाटिल और मीरा कुमार ने उमंग सिंघार को दोषी ठहराया है। अब इस मामले में आगे की कार्रवाई राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी। मामले की जानकारी कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने दी है।

दरअसल, करीब तीन महीने पहले कमलनाथ सरकार में वन मंत्री उमंग सिंघार ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के अवैध रेत उत्खनन और शराब कारोबार में शामिल होने को लेकर पर्दे के पीछे से सरकार चलाने के आरोप लगाया था। विवाद बढ़ने के बाद ये मामला कांग्रेस की अनुशासन समिति को भेजा गया था। सूत्रों के हवाले से उमंग सिंघार को दोषी ठहराए जाने की खबरों के बीच अब बीजेपी ने सवाल खड़े किए हैं। बीजेपी की मानें तो उमंग सिंघार के आरोपों की सच्चाई सामने आनी चाहिए।

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