नई दिल्ली। कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट की वापसी के लिए कल जो दरवाज़े खोले थे आज उसी आला कमान ने उन दरवाज़ों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया, जिसके बाद सचिन पायलट की कांग्रेस में वापसी अब नामुमकिन हो गयी है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी कल 4 -5 पायलट समर्थक विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के आदेश जारी कर देंगे। फिलहाल सचिन सहित सभी बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त नहीं की जा रही है, क्योंकि पार्टी को उम्मीद है की अनेक पायलट समर्थक विधायक वापस कांग्रेस में आ सकते हैं।
कांग्रेस आला कमान ने सचिन को वापस न लेने का फैसला उस समय लिया जब उसे इस बात की जानकारी दी गयी की अदालत में पायलट की पैरवी हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी कर रहे हैं, जिसके बाद साफ़ हो गया की पायलट की मंशा ठीक नहीं है और वे भाजपा से मिले हुए हैं, जैसा की गहलोत शुरू से सचिन पर आरोप लगाते रहे हैं।
इधर पायलट खेमे से प्राप्त खबरों के अनुसार सचिन गहलोत सरकार को गिराने और राज्य में अपनी क्षेत्रीय पार्टी कड़ी करने के लिए जुटे हैं। उनकी कोशिश है कि अधिक से अधिक कांग्रेस विधायकों को तोड़ा जाए। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि सचिन की योजना की यह जानकारी कांग्रेस नेतृत्व को मिल चुकी है और उसे यह भी जानकारी मिली है परदे के पीछे से भाजपा व्यूह रचना कर रही है।
मानेसर में 5 तारा होटल में विधायकों के ठहरने की व्यवस्था , हरियाणा पुलिस का संरक्षण तथा साल्वे और रोहतगी की अदालत में पैरवी इसके पुख्ता प्रमाण हैं। अदालत में यह साबित करने के लिए की पायलट और उनके समर्थक पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे, कांग्रेस ऑडियो और विडिओ सी डी ज़रूरत पड़ने पर पेश कर सकती है जिसमें पायलट समर्थकों को सरकार गिराने और पैसे के लेन देन की बात करते सुना जा सकता है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोकमत से कहा कि बागी विधायकों को अयोग्य ना भी घोषित किया जाए तो भी उनके पास बहुमत साबित करने के लिए विधायकों की पर्याप्त संख्या है। इधर बी टी पी ने गेहलोत सरकार को समर्थन देने की औपचारिक घोषणा कर दी है।
हालाँकि पहले बी टी पी का रुख गहलोत के पक्ष में नहीं था। गहलोत ने संकेत दिए की सचिन के खेमे में गए कुछ विधायक भी लौट कर वापस आने को तैयार है। विधान सभा अध्यक्ष सी पी जोशी फिलहाल उन्ही विधायकों की सदस्यता रद्द करेंगे जिनके खिलाफ कांग्रेस के पास पार्टी विरोधी गतिविधियों के पक्के सबूत हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करेगा उनके साथी विधायकों द्वारा जो याचिका अदालत में है उस पर अदालत क्या फैसला सुनाती है।