इंदौर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अनाज माफिया के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने दिये गये निर्देश पर जिला प्रशासन ने महू में करीब 50 करोड़ रुपये के अनाज घोटाले का पर्दाफाश किया है। कलेक्टर मनीष सिंह ने आज बताया कि इस संबंध में एफआइआर दर्ज की गई है और विस्तृत जाँच की जा रही है। इस अनाज घोटाले के तार बालाघाट, मंडला और नीमच से भी जुड़े पाए गए हैं। प्राथमिक जाँच में व्यापारी मोहनलाल अग्रवाल और उसके सहयोगियों के नाम आए हैं।  

इसमें नागरिक आपूर्ति निगम के एक कर्मचारी की संलिप्तता भी पाई गई है। इंदौर जिले के अनुभाग महू में शासन द्वारा गरीबों के उपयोग के लिए आवंटित राशन के वितरण में समय-समय पर शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। 17 अगस्त,20 को एक शिकायत के संबंध में मौके पर जाँच में पाया गया कि नागरिक आपूर्ति निगम के परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल के पुत्र मोहित अग्रवाल के हर्षिल ट्रेडर्स स्थित गोदाम जोकि मण्डी प्रांगण में शासकीय वेअर हाउस से लगा है, में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के चावल के 600 से अधिक कट्टे पाये गये। इन कट्टों के एवज में मोहनलाल अग्रवाल द्वारा जो बिल प्रस्तुत किये गये है जो कूटरचित पाये गये।   कलेक्टर ने इस मामले में जांच दल गठित कर जाँच करवाई, जिसमें प्रथम दृष्टया यह तथ्य सामने आया कि नागरिक आपूर्ति निगम के परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल द्वारा अपने सहयोगी व्यापारियों आयुष अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल एवं शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालकों के साथ मिलकर शासन से प्राप्त सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन की हेराफेरी की जाती थी।  

जाँच में पाया गया कि नागरिक आपूर्ति निगम का परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल द्वारा उचित मूल्य की दुकानों को जो राशन भेजा जाता था, उनके पूर्ण बिलों पर प्राप्ति के हस्ताक्षर करा लिये जाते थे एवं राशन की दुकान पर पहुँचा हुये सामान में से लगभग 8-10 किं्वटल राशन वापस ले लिया जाता था जिसके एवज में राशन दुकान संचालकों को विशेष राशि मोहनलाल अग्रवाल के पुत्र तरूण द्वारा भुगतान की जाती थी। दुकान संचालक लोगों को कम सामान देकर इसकी पूर्ति करते थे।  

जाँच में पाया गया कि शासकीय राशन के बौरे, जोकि वेअर हाउस से सीलबंद भेजे जाते हैं, दुकानों पर खुले पाये गये। जाँच में शासकीय दुकानों पर पाये गये चावल शासन द्वारा आवंटित चावल से निम्न गुणवत्ता के पाये गये। दुकानों पर पाये गये चावल प्रथम दृष्टया देखने पर शासन से आवंटित चावलों में भिन्न एवं निम्न गुणवत्ता के पाये गये।  

राशन दुकानों से प्राप्त राशन को एकत्रित कर अपने सहयोगियों के माध्यम से फर्जी बिल तैयार कर एवं मण्डी से फर्जी अनुज्ञा तैयार कर या खराब माल को शासन से प्राप्त अच्छे माल से बदलकर एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार कर अथवा अपने सहयोगी व्यापारियों से तैयार करवाकर खुले बाजार में बेचा जाता था। मोहनलाल अग्रवाल द्वारा यह कार्य शासन द्वारा आवंटित केरोसिन के साथ भी किया जाता था। वह राशन दुकानों को केरोसिन कम मात्रा में वितरण कर एवं वितरण की पूर्णता कर शेष केरोसीन की हेराफेरी की जाती थी।  

मोहनलाल अग्रवाल एवं सहयोगी व्यापारी आयुष अग्रवाल की फर्म आयुष फूड के बिलों एवं लोकेश अग्रवाल की फर्म लोकेश कुमार शरदानंद के बिलों की जाँच किये जाने पर इनके द्वारा नीमच एवं मण्डला से भी व्यापारिक संव्यवहार का तथ्य सामने आया है। नीमच के जिस व्यापारी से इनके व्यापारी संबंध सामने आये हैं। उक्त व्यापारी के विरूद्ध भी शासकीय राशन की हेराफेरी करने की प्राथमिकी नीमच थाने में दर्ज की गयी है।  

इस प्रकार महू के शासकीय राशन की हेराफेरी के संबंध में नीमच, मण्डला एवं राज्य के अन्य जिलों में भी होने की संभावना है। परिवहनकर्ता मोहनलाल महू में खाद्यान्न वितरण एवं ग्रामीण क्षेत्र में केरोसिन वितरण के परिवहन का कार्य विगत 20 वर्षों से अलग-अलग फर्मों के नाम से परिवहनकर्ता की अनुज्ञा प्राप्त कर उचित मूल्य की दुकानों को प्रदाय होने वाले राशन के लिये परिवहनकर्ता रहा है।  

महू में विगत 10 वर्षों में हुए शासकीय राशन की हैराफेरी का आंकलन किया जाये तो यह घोटाला वर्तमान दर के हिसाब से लगभग 50 करोड़ रूपये की राशि का होता है। महू में शासकीय राशन की हेराफेरी में की गयी जाँच में पाये गये तथ्यों के आधार पर परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल, उनके पुत्र मोहित एवं तरूण अग्रवाल, सहयोगी आयुष अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल एवं सहयोगी 04 राशन दुकान संचालक तथा सोसायटी के प्रबंधक पर अब तक थाना किशनगंज एवं थाना बडगोंदा में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है।  

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