भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकारी खरीद में भी महिला स्वसहायता समूह को मौका दिया जाएगा। साथ ही उन्हें 4 प्रतिशत ब्याज की दर पर लोन दिया जाएगा। स्कूल की यूनिफार्म स्वसहायता समूह ही बनाएंगे। इससे करीब 400 करोड़ का रोजगार मिलेगा। कोई कलेक्टर इसमें दखल नहीं देगा। इसमें टर्न ओवर की शर्त नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि एसएचजी के लिए 300 करोड़ का बजट रखा गया था जिसे बढ़ाकर 1434 करोड़ रुपए किया गया है। 33 लाख महिलाएँ एसएचजी से जुड़ी हैं। इतनी ही महिलाओं को अगले तीन साल में और भी जोड़ने का काम किया जाएगा।

सीएम चौहान ने कहा कि  एसएचजी के लिए आनलाइन टेÑडिंग और ई टेÑडिंग का काम किया जाएगा। एसएचजी को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय विपणन महासंघ बनाया जाएगा जो समूहों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग का काम करेगा। केस स्टडी भी पढ़ाई जाएगी कि कैसे बहनों ने जिंदगी बदलने का काम किया। उन्होंने कहा कि हर घर को छोटे उद्योग में बदलना पडेÞगा। इससे बडेÞउद्योगों पर निर्भरता कम होगी। सरकारी काम के आर्डर कैसे मिले, उसका भी मैकेनिज्म बना रहे हैं।  इस दौरान एसीएएस पंचायत और ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि आज 190 करोड़ स्वीकृत 164.55 करोड़ के ऋण दिए जा रहे हैं। इसके पूर्व 207 करोड़ का वितरण हो चुका है। सीएम ने श्योपुर जिले की दुगड़ी की महिलाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे पहले मजदूरी के लिए गुजरात जाती थीं लेकिन अब गांव में ही रहकर काम कर रही हैं।

सीएम चौहान ने तीन जिलों की महिला स्वसहायता समूह अध्यक्षों से बात की। संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि थोड़ा परेशान जरूर हूं क्योंकि कोरोना से जूझना पड़ रहा है। बहनों की ताकत पर हम कोरोना से निपट लेंगे।  किसी योजना में कोई गड़बड़ चल रही है तो उसकी शिकायत वे सीधे मुख्यमंत्री से कर सकती हैं। जीवन स्तर में परिवर्तन लाने का काम स्वसहायता समूह कर रहे हैं। अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम का संचालन किया और एसएचजी की गतिविधियों की जानकारी दी।

इस दौरान दमोह के पटेरा जनपद की चंडीमाता स्वसहायता समूह की भागबाई पटेल से बात की। भागबाई ने कहा कि समूह से जुड़ने से पहले वह मजदूरी करती थी। रोजगार का संकट था। कोरोना के दौरान दुकान बंद होने से परेशानी हुई। अब किराने की दुकान डाली है। महीने में 9 हजार रुपए मिल जाते हैं। समूह से जुड़ने का फायदा यह भी हुआ कि सीएम से बात करने का मौका मिल गया। देवास जनपद की खेताखेड़ी की साधना नागर ने कहा कि आशा आजीविका स्वयं सहायता समूह चलाती हैं। समूह से जुड़ने के बाद 97 महिलाएं समूहों से जुड़ गई हैं। कोरोना में घर की सब्जी और दूध बेचने का काम किया गया। समूह से 85 हजार लेकर साड़ी बेचती हूं। अब 12 से 15 हजार की महीने की आमदनी होती है। शिवपुरी जिले करीला जनपद की राखी ने बताया कि 17 समूह में 194 महिलाएं जुड़ी हैं। पीपीई किट और मास्क बनाने का काम किया गया। सैनिटाइजर, गणेश जी की मूर्ति बनाने का काम किया गया। गहने रखकर काम चलाते थे। जब समूह से जुड़े तो फायदा होने लगा।

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