छिंदवाड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के एक बयान ने मध्य प्रदेश में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। छिंदवाड़ा में उनके बयान के बाद से उनके संन्यास लेने की अटकलें लग रही हैं, लेकिन पूर्व सीएम ने खुद इस पर सफाई दी है। कमलनाथ ने कहा है कि जिस दिन छिंदवाड़ा की जनता चाहेगी, उस दिन वे संन्यास ले लेंगे।
कयासों की शुरुआत सौंसर में कमलनाथ के भाषण से हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें छिंदवाड़ा से बहुत कुछ मिला है। वे अब आराम करना चाहते हैं और उन्हें किसी चीज का लालच नहीं है। कमलनाथ ने अपने भाषण में कहा, ’15 माह में सरकार चली गई। मैं चाहता तो सौदा कर सकता था। मैंने सौदा नहीं किया क्योंकि मुझे किसी पद का लालच नहीं है। मुझे चिंता है तो मध्य प्रदेश के भविष्य और पहचान की। डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर ने संविधान का निर्माण किया, उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि भविष्य में ऐसे सौदे और बिकाऊ की राजनीति प्रदेश में होगी। मैं आराम करने को तैयार हूं। मैंने बहुत कुछ काम किया है।
जबकि कमलनाथ के मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने सफाई जारी करते हुए कहा है कि कमलनाथ ने छिंदवाड़ा की जनता से कहा कि जिस दिन जनता चाहेगी, उस दिन ही संन्यास ले लूंगा. कमलनाथ के इतना कहते ही छिंदवाड़ा की जनता ने कमलनाथ के पक्ष में जोरदार नारेबाजी कर कहा कि हम आपको एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. नरेंद्र सलूजा ने सफाई देते हुए कहा की कमलनाथ राजनीति में रहते हुए जन सेवा का कार्य जारी रखेंगे.
कमलनाथ के बयान के कई मायने
मध्य प्रदेश उपचुनाव में 28 सीटों में से सिर्फ 9 पर जीत हासिल करने के कारण कमलनाथ के खिलाफ राज्य में आवाज उठ रही हैं. हालांकि छिंदवाड़ा में जनसभा में दिए उनके बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ सिर्फ कोई पद छोड़ने की बात कर रहे हैं या राजनीति से विदाई लेने की बात कर रहे हैं, इस पर कयास लग रहे हैं. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री इन दिनों अपने बेटे के साथ छिंदवाड़ा के दौरे पर हैं, जो कि कमलनाथ और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है.
आपको बता दें कि फिलहाल कमलनाथ मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता होने के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. जबकि उपचुनाव में करारी हार के बाद उन पर गलत टिकट बंटवारे, कमजोर उम्मीदवारों और गलत रणनीति के आरोप लगातार लग रहे हैं. यही नहीं, राज्य के तमाम नेता उपचुनाव में हार का ठीकरा न सिर्फ कमलनाथ पर फोड़ रहे हैं बल्कि युवा नेतृत्व की जरूरत भी बता रहे हैं.