भोपाल।  प्रदेश के सरकारी विभागों में नियमित कर्मचारियों की संख्या पिछले एक साल में बढ़ गई है। वहीं नगरीय स्थानीय निकायों और ग्रामीण स्थानीय निकायों तथा सार्वजनिक उपक्रम और अर्धशासकीय संस्थानों में कर्मचारियों की संख्या कम हो गई है।

प्रदेश में पांच साल पहले सभी प्रकार के कर्मचारियों की संख्या 7 लाख 39 हजार 771 थी जो अब घटकर 6 लाख 61 हजार 1 रह गई है। प्रदेश के शासकीय विभागों में नियमित रूप से कार्यरत कर्मचारियों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा 3.02 प्रतिशत बढ़ी है।  सरकारी विभागों में पिछले पांच साल से नियमित पदों पर कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

वर्ष 2017 में जहां 4 लाख 47 हजार 262 कर्मचारी थे तो वर्ष 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 5 लाख 54 हजार 991 हो गई थी।  वहीं वर्ष 2021 में नियमित कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 72 हजार 288 हो गई है। कर्मचारियों की संख्या घटने का असर राजस्व वसूली और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी पड़ रहा है। सरकारी विभागों में इन कर्मचारियों के स्थान पर आउटसोर्सिंग के जरिए निजी कंपनियों के कर्मचारियों से काम करवाने की प्रथा बढ़ी है। इससे स्थायी कर्मचारियों को रखने की आवश्यकता भी नहीं पड़ रही है।

प्रदेश के शासकीय विभागों में भले ही नियमित कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है लेकिन नगरीय स्थानीय निकायों और ग्रामीण स्थानीय निकायों में कर्मचारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। नगरीय निकायों में वर्ष 2017 में कुल कर्मचारियों की संख्या 85 हजार 961 थी। वहीं यह संख्या बीते वर्ष में घटकर 32 हजार 933 रह गई है। ग्रामीण स्थानीय निकायों में तो कर्मचारियों की संख्या ओर भी तेजी से घटी है। वर्ष 2017 में ग्रामीण स्थानीय निकायों में एक लाख 38 हजार 855 थी।  अब यहां केवल 4941 कर्मचारी शेष रह गए है। इस हिसाब से ग्रामीण स्थानीय निकायों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी कम हुई है।

स्कूल शिक्षा में सर्वाधिक कर्मचारी
प्रदेश के सरकारी विभागों में स्कूल शिक्षा विभाग में सर्वाधिक 2 लाख 4 हजार 717 कर्मचारी है। दूसरे स्थान पर गृह विभाग है यहां 97 हजार 926 कर्मचारी है। तीसरे स्थान पर अनुसूचित जाति कल्याण विभाग है जिसमें 52 हजार 870 कर्मचारी शेष बचे है। प्रदेश के कुल कर्मचारियों का 62 फीसदी कर्मचारी इन्हीं तीन विभागों के है।

विकास प्राधिकरण, विश्वविद्यालयों में भी घटे कर्मचारी
प्रदेश के विकास प्राधिकरणों और विश्वविद्यालयों में भी कर्मचारियों की कमी हो गई है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में वर्ष 2017 में 6372 कर्मचारी थे तो वहीं अब इनकी संख्या 4496 रह गई है। प्रदेश के विकास प्राधिकरणों और विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों में 2017 में 1687 कर्मचारी थे अब यहां 784 कर्मचारी शेष रह गए है। सार्वजनिक उपक्रमों और अर्द्ध शासकीय संस्थानों में भी कर्मचारी तेजी से कम हुए है। वर्ष 2017 मेें यहां 59 हजार 634 कर्मचारी थे तो वहीं अब इनकी संख्या 45 हजार 559 रह गई है।