इटारसी ! करीब सवा साल पूर्व एक पांच वर्ष की बच्ची के यौन शोषण के मामले में एडीजे कोर्ट ने आज आरोपियों को दस-दस साल की सज़ा और एक-एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है। एडीजे रत्नेशचंद्र बिसेन ने आरोपियों को सज़ा सुनाई। पिछले साल पुरानी इटारसी से बच्ची को बाल कल्याण समिति के एक पत्र के आधार पर पुलिस ने आरोपियों के चुंगल से छुड़ाया था। कोर्ट में सज़ा के बाद आरोपी राजू अंकल उर्फ दिनेश मिश्रा मुंह छिपाता रहा जबकि आरोपी ज्योति साहू एकदम शांत थी। सुनवाई के दौरान ज्योति साहू जेल से लाया गया था जबकि दिनेश मिश्रा जमानत पर था।
5 अप्रैल 15 को रविवार को कोतवाली पुलिस ने बाल कल्याण समिति के एक पत्र के आधार पर जांच कर मकान मालिक व किरायेदार पर मामला दर्ज किया था। पुलिस के अनुसार पुरानी इटारसी के एक मकान में रहने वाले राजू अंकल उर्फ दिनेश मिश्रा और उसके मकान में किराये से रहने वाली ज्योति साहू द्वारा एक नाबालिग बच्ची को प्रताडि़त करने, लैंगिक शोषण करने के मामले में धारा 376, 376-2(1)] 376-2(एन), 344, 34 आईपीसी और धारा 4-6 बाल लैगिंग अपराध अधिनियम 2012, धारा 23 किशोर न्याय अधिनियम 2000 के तहत मामला पंजीबद्ध किया था। बाल कल्याण समिति के पत्र मिलने के बाद से तत्कालीन उपनिरीक्षक प्रज्ञा शर्मा ने मामले की जांच की थी।
यह था मामला: जिला बाल संरक्षण अधिकारी को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से शिकायत मिली थी कि पुरानी इटारसी क्षेत्र में करीब पांच वर्ष की एक बच्ची है जो न स्कूल जाती है और ना ही उसे आंगनबाड़ी भेजा जाता है। उसके साथ एक महिला रहती है जो उसे कमरे में बंद करके रखती है और कहीं भी जाती है तो बंद करके जाती है। बच्ची दिनभर रोती रहती है। शिकायत के बाद जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने सीडब्ल्यूसी को इसकी जानकारी देकर मार्गदर्शन मांगा। मौखिक निर्देश पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बाल संरक्षण अधिकारी के नेतृत्व में एक समिति बनायी जिसमें आउटरीच वर्कर और पीओ और विशेष किशोर पुलिस इकाई की टीम को शामिल किया। समिति ने 17 मार्च 2015 को छापामारी की। इसके बाद जो रिपोर्ट दी उसमें यह उल्लेख किया कि उसके साथ जो महिला है, वह न तो बच्ची की मां है और ना ही रिश्तेदार। बच्ची को शिशु गृह भेजने के आदेश दिये गये। इसके बाद काउंसिलिंग चली जिसमें बच्ची को साथ रखने वाली महिला ज्योति साहू भी पेश हुई। महिला रेलवे स्टेशन पर अपनी एक बहन के साथ गुटखा पाउच बेचने का काम करती थी। इसने बताया कि बच्ची उसकी कोई नहीं है, वह तो करीब एक वर्ष की थी तब रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर के पास रोती हुई मिली थी।

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