इंदौर। परिवहन विभाग 15 साल से ज्यादा पुराने भारी वाहन और मालवाहक वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट पर फिलहाल विलंब शुल्क वसूल नहीं कर सकेगा। मप्र उच्च न्यायालय ने इस वसूली को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए वसूली पर अंतरिम रोक लगा दी है।
केंद्र सरकार ने 4 अक्टूबर 2021 को एक अधिसूचना जारी कर केंद्रीय मोटरयान अधिनियम में संशोधन कर दिया था। इसके तहत 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट और उनके नवीनीकरण के लिए ली जाने वाले शुल्क को बढ़ा दिया था। नवीनीकरण में विलंब होने पर वाहन मालिकों को 50 रुपये प्रतिदिन का विलंब शुल्क चुकाना था। संशोधन एक अप्रैल 2022 से प्रभावशील हुआ है। इन संशोधनों को चुनौती देते हुए बस आपरेटर प्रकाशचंद गुप्ता, पंकज गुप्ता व प्रदीप गुप्ता ने अभिभाषक आशीष रावत के माध्यम से मप्र उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पहले भी उच्च न्यायालय इस तरह के शुल्क को असंवैधानिक घोषित कर चुका है। बावजूद इसके केंद्र ने संशोधन में दोबारा उसी प्रविधान को जस का तस रखा है।
न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह और न्यायमूर्ति प्रकाशचंद्र गुप्ता की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय सचिव, मप्र परिवहन विभाग के सचिव, परिवहन आयुक्त ग्वालियर, उपक्षेत्रीय परिवहन आयुक्त जबलपुर, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी जबलपुर को नोटिस जारी करते हुए मामले में जवाब मांगा है। न्यायालय ने अगली सुनवाई तक विलंब शुल्क की वसूली पर अंतरिम रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 21 जून को होगी।