ग्वालियर। भिण्ड के उद्योग विभाग द्वारा लोन के प्रकरण को बैंक में भेजने के एवज में एक हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकडे गए उद्योग विभाग के एक बाबू स्वतंत्र कुमार ओझा को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण योगेश कुमार गुप्ता ने 3 साल की सजा और 6 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंण्डित किया है। उद्योग विभाग के बाबू को ग्वालियर लोकायुक्त टीम ने 31 दिसंबर 2013 को रिश्वत लेते पकडा था। इस मामले में प्रकरण की सुनवाई के दौरान बयान पलटने पर फरियादी पूरन सिंह नागर और कार्यवाही के दौरान ग्वालियर लोकायुक्त पुलिस टीम में शामिल आरक्षक गिरीश कुमार त्रिपाठी पर प्रकरण दर्ज करने का आदेश न्यायाधीश ने पुलिस को दिए है।
सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अमोल सिंह तोमर ने आज यहां बताया कि पूरन सिंह नागर ने गाडी के लिए लोन लेने रानी दुर्गावती योजना में आवेदन किया था। लोन का प्रकरण मंजूर हो जाने पर प्रकरण बैंक को भेजने के लिए उद्योग विभाग के बाबू स्वतंत्र कुमार ओझा ने पूरन सिंह नागर से 1 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। पूरन सिंह ने बाबू की शिकायत ग्वालियर लोकायुक्त से की। ग्वालियर लोकायुक्त टीम ने 31 दिसंबर 2013 को बाबू स्वतंत्र कुमार ओझा को एक हजार रुपए की रिश्वत लेते रंग हाथ गिरफ्तार कर लिया गया। प्रकरण भिण्ड न्यायालय में पेश किया गया जहां विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण योगेश कुमार गुप्ता ने सुनवाई के दौरान आरोप सिद्ध होने पर बाबू स्वतंत्र कुमार ओझा को 3 साल की सजा तथा 6 हजार रुपए अर्थदण्ड लगाया है। सुनवाई के दौरान ही फरियादी पूरन सिंह व ग्वालियर लोकायुक्त टीम में शामिल आरक्षक गिरीश कुमार त्रिपाठी के द्वारा अपने बयान बदलने के कारण दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए गए है।