राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति श्री अरूण मिश्रा ने कहा है कि मानसिक रोगियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए। उनका भी सामान्य मनुष्य की तरह मानव अधिकार है। मानसिक आरोग्यशालाओं में उपचार करा रहे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ आदर्श सुविधाएँ भी मुहैया होना चाहिए। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य शासन के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने यह बात कही।
बुधवार को ग्वालियर के एक स्थानीय होटल में आयोजित कार्यशाला में आरोग्यशाला को और बेहतर बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण चर्चा हुईं। इस मौके पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य श्री महेश मित्तल कुमार, श्री राजीव जैन व सचिव श्री देवेन्द्र कुमार सिंह, प्रधान जिला न्यायाधीश श्री प्रेम नारायण सिंह एवं सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री प्रतीक हजेला, आयुक्त स्वास्थ्य श्री सुदाम खाण्डे, संचालक चिकित्सा शिक्षा श्री जितेन्द्र शुक्ला, संभागीय आयुक्त श्री आशीष सक्सेना, आईजी श्रीनिवास राव, कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह सहित मानसिक आरोग्यशाला के चिकित्सक और विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति श्री अरूण मिश्रा ने कहा है कि ग्वालियर के मानसिक आरोग्यशाला को आदर्श बनाने के लिये एक दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार की जाए। आरोग्यशाला में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ मरीजों के लिये भी आदर्श सुविधायें उपलब्ध हों। आरोग्यशाला में मरीज को इलाज के साथ-साथ योग एवं अन्य थैरेपियों के माध्यम से भी इलाज हो, ऐसे भी प्रबंध किए जाएं।
आयोग के अध्यक्ष श्री मिश्रा ने यह भी कहा कि मानसिक आरोग्यशाला में ठीक हुए मरीजों को उनके परिवार तक पहुँचाने के लिए समाज की सोच में परिवर्तन लाने की भी पहल की जाना चाहिए। ठीक हुए मरीजों को जिनके परिजन नहीं ले जा रहे हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाकर निर्देशित किया जाना चाहिए ताकि वे अपने परिजनों को घर ले जा सकें। मानसिक रोगियों को भी ठीक होने के पश्चात समाज में उचित स्थान मिले और वह सामान्य मनुष्य की तरह अपना बेहतर जीवन जी सकें, इसके लिये शासकीय प्रयासों के साथ-साथ समाज के लोगों को भी आगे आकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मानसिक आरोग्यशाला का बेहतर विकास हो, इसके लिये धन की कमी नहीं है। हमें बेहतर कार्ययोजना तैयार कर उसका क्रियान्वयन तेजी से करने की जरूरत है।
कार्यशाला के प्रारंभ में आयुक्त स्वास्थ्य सुदाम खाण्डे ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग एवं राज्य सरकार के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में बेहतर सुझाव प्राप्त होंगे। राज्य शासन की ओर से मानसिक आरोग्यशालाओं को और बेहतर बनाने की दिशा में कार्य किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मानसिक रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ अच्छी सुविधायें मिलें, इसके लिये भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्य किया जायेगा। जिला न्यायाधीश श्री पी एन सिंह ने कहा कि मानसिक आरोग्यशालाओं में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ और मरीजों को बुनियादी सुविधायें उपलब्ध हों इसके लिये शासकीय स्तर पर बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। समाज के लोगों को भी ऐसे मरीज जो स्वस्थ हो गए हैं उन्हें वापस अपने घर ले जाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य करना चाहिए।
कार्यशाला में मानव अधिकार आयोग के सदस्यों ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में मानसिक आरोग्यशाला के बेहतर क्रियान्वयन के लिये महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। अंत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति अरूण मिश्रा ने कहा कि सभी के सुझावों को शामिल करते हुए आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। उन्होंने संभागीय आयुक्त आशीष सक्सेना से कहा कि वे मानसिक आरोग्यशाला की दीर्घकालिक योजना तैयार कराएँ ताकि ग्वालियर में आदर्श मानसिक आरोग्यशाला बन सके और मरीजों का बेहतर उपचार कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया जा सके।