पाली, टैक्सटाइल कारोबारी दिलीप मेहता (60) और उनकी पत्नी ललित मेहता सांसारिक मोह-माया को छोड़ 3 मार्च को दीक्षा लेने जा रहे हैं. मूलरूप से पाली का रहने वाला यह दंपती मुंबई में जैन संतों के सानिध्य में दीक्षा लेगा. शनिवार को पाली में वरघोड़ा निकालकर जैन समाज ने दोनों का अभिनंदन किया. दस करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर का बिजनेस छोड़ वैराग्य की इच्छा मन में आने के बाद उन्होंने यह फैसला किया है.

पाली के टैगोर नगर के रहने वाले दिलीप मेहता और उनकी पत्नी ललित मेहता के दो बेटे हैं. इनका नाम अभिषेक और राहुल है. अभिषेक ने सीए की पढ़ाई की है. राहुल ने बीकॉम किया है. तीन पोते-पोतियां हैं. दिलीप की 90 साल की मां कमला देवी भी हैं. मुमुक्षु दिलीप मेहता ने बताया कि करीब 20 साल पहले पाली के गुजरात कटला में जैन संत गुणरत्न सुरीश्वर के प्रवचन सुनने गए थे. संत के पाली आने पर हर दिन उनका प्रवचन सुना. तब उन्हें ज्ञान मिला कि संसार सिर्फ दिखावा है. मोक्ष प्राप्ति के लिए वैराग्य पथ से बेहतर कुछ नहीं है, लेकिन बच्चे छोटे थे. ऐसे में उस समय दीक्षा नहीं ली. अब बच्चे उनका व्यापार संभाल रहे हैं और उनका अपना परिवार है.

दिलीप मेहता ने करीब 6 साल अपने अपने मन की बात पत्नी ललिता को बताई. इस पर उन्होंने कहा कि आप सांसारिक जीवन छोड़कर वैराग्य के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं. उनके बिना संसार में अकेले रहकर क्या करेगी. तब पति-पत्नी ने साथ में दीक्षा लेने का मन बनाया. दिलीप मेहता ने बताया कि वे कुछ समय के लिए बीमार हो गए थे. वरना 3 साल पहले ही दीक्षा लेने वाले थे. मेहता दंपती का शनिवार (Saturday) को पाली के हाउसिंग बोर्ड इलाके में गाजे-बाजे के साथ वरघोड़ा निकाला गया. अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया. इसमें बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल हुए. कार्यक्रम सेठ नवलचंद सुप्रतचंद जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक (तपागच्छ) देव की पेढ़ी ट्रस्ट पाली की और से हुआ. वरघोड़ा हाउसिंग बोर्ड इलाके के महावीर स्वामी मंदिर से सीमंधर स्वामी मंदिर तक निकाला गया.