ग्वालियर। मध्यप्रदेश के महानिदेशक पुलिस रिषी कुमार शुक्ला ने कहा है कि रेत उत्खनन करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस को कोई कानूनन अधिकार नहीं है, उन्होने कहा कि पुलिस तो विभाग की सहायता कर रेत उत्खनन रोकने में मदद करता है।
पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश रिषी कुमार शुक्ला अपने प्रवास के दौरान ग्वालियर चंबल संभाग की समीक्षा के बाद पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रेत माफियाओं पर कार्रवाई पुलिस ने की है और कई वाहन भी जब्त किये है। उन्होंने बताया कि उसके बाद भी कई स्थानों पर रेत माफिया एकत्र होकर पुलिस पर हमला कर बैठते हैं। उन्हें चिन्हित कर कडी कार्रवाई की जाएगी। कल मुरैना में थाना प्रभारी सुरेश सिंह कुशवाह पर हुए हमले के बारे में उन्होने बताया कि अब थाना प्रभारी की स्थिति नियंत्रण में है। उन्होने बताया कि रेत उत्खनन कर उत्तर प्रदेश ले जाने से रोकने में चार सौ पुलिस कर्मियों को लगाया गया है। माइनिंग एक्ट में कार्रवाई का प्रावधान ना होते हुए भी पुलिस को रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करना पड रही है। वहीं वाहनों को भी जब्त करना पड रहा है। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि ग्वालियर चंबल संभाग में अप्रेल से जून माह तक लूट आदि की वारदातें बढती है ऐसा पुराना रिकार्ड बताता है। पुलिस ऐसे में संख्या को बढा कर वारदात पर अंकुश लगाने का प्रयास करती है। सोशल मीडिया पर पोस्ट और बीट सिस्टम में कमी के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा कि हम सोशल मीडिया पर रोक नहीं लगा सकते हैं। हां हाल ही में मंदसौर में किसान आंदोलन भडकाने में सोशल मीडिया का भी एक पहलू था। उन्होंने कहा कि ऐसे में ग्रुप एडमिन के खिलाफ कार्रवाई करते हैं जिससे अनर्गल पोस्ट सोशल मीडिया पर नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि अपराध का तरीका अब बदल गया है। सायबर क्राइम भी तेजी से फैल रहा है। सायबर क्राइम को रोकने हम तकनीकी रूप से पीछा कर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास चुनौतियां ज्यादा है और बल कम। उसके बाद भी वह अपना काम सुचारू रूप से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनता को सुकून मिले वह भय मुक्त रहे ऐसा प्रयास लगातार जारी रहता है। किसान आंदोलन में मुखबिर तंत्र फेल होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है। किसानों के असंतोष की जानकारी थी। लेकिन वह हिंसा में दबल जाएगा ऐसा नहीं सोचा था। पुलिस के पास सूचना थी लेकिन फिर भी डेढ जिलों में आंदोलन भडक गया और जल्दी ही उस पर काबू पा लिया गया। अब पुलिस २०० मंडियों में प्याज को बिकवा रही है। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि २०१९ तक उनके पास अतिरिक्त पुलिस बल ३० हजार मिल जाएगा उसके बाद परिवर्तन देखने को मिलेगा। गुमशुदा बच्चों के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा कि गुमशुदा बच्चों के बारे में दस इकाईयां पडताल करती रहती हैं। यह इकाईयां सामने नहीं हैं। लेकिन अभी जुनून फैल नहीं सका है। सडक़ हादसों को रोकने की बात पूछे जाने पर डीजीपी शुक्ला ने कहा कि हां मैने सडक़ हादसों के लिए कार्रवाई करने को कहा था। आज भी १५ से ज्यादा मौत होने पर वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच कर जांच करते हैं। उसके बाद भी पिछले वर्ष की तुलना में पांच प्रतिशत हादसों में मरने वालों की आई है। पुलिस आयोग बनाए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में आयोग बन गया है, कुछ में काम चल रहा है उनमें मध्यप्रदेश भी है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने २००६ में आयोग बनाए जाने पर सुझाव दिया था। अब देखना है कि कब तक आयोग मूर्त रूप लेगा। एससी और एसटी के मामले दर्ज कराने और बाद में होस्टाइल होने पर पीडित को मिलने वाली राशि की वापसी के लिए कोई प्रस्ताव है क्या डीजीपी ने कहा कि अभी तो कोई प्रस्ताव नहीं है हां इस पर विचार कर प्रस्ताव लाएगे। उन्होंने माना कि पिछले पांच सालों में काफी तकनीक रूप से परिवर्तन हुआ है ऐसा परिवर्तन पांच हजार साल में भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि तकनीक हमेशा आगे रहती है और वह उसके पीछे ही। एक सिपाही की प्रॉपर्टी के चलते गोली मारकर हत्या के मामले में क्या पुलिस कर्मी अधिकारी व जवान नौकरी के साथ दूसरे काम भी कर रहे हैं और ऐसे में वह अपराध भी कर बैठते हैं उन्होंने बताया कि अब सभी की परिजनों और संपत्ति की जानकारी मंगाकर अपलोड की जा रही है। इसके बाद जो भी दूसरे धंधों में लिप्त पाए गए उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। यातायात कर्मियों के साथ ही थाना कर्मी भी वाहनों के चालान काटते नजर आते हैं डीजीपी ने बताया कि बल की कमी के चलते ऐसा किया जा रहा है बल की कमी पूरी होते ही थाना कर्मी अपना काम करेंगे वहीं यातायात कर्मी ही यातायात को देंखेगे। इस अवसर पर अईजी अनिल कुमार, डीआईजी संतोष कुमार सिंह , एसपी डॉ. आशीष भी मौजूद थे।

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