नई दिल्ली. देशभर में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हुए हमले पर केंद्र सरकार ने एक्शन लिया है. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को स्वास्थ्य कर्मियों के हमलों की घटनाओं की जांच के उपायों के कार्यान्वयन के लिए पत्र लिखा है. केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को कहा गया है कि वह स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों पर एफआईआर दर्ज करें.

केंद्र की ओर से कहा गया है कि चिकित्सकों, स्वास्थ्य सेवा कर्मियों पर कोई हमला उनके बीच असुरक्षा की भावना पैदा कर सकता है. पिछले दिनों डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरुद्ध केंद्रीय कानून की मांग पर दबाव बनाने के लिए बिहार और मध्य केरल में डॉक्टरों ने क्लीनिक को बंद रखा था. इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए आईएमए की प्रत्येक शाखा में एक समन्वय टीम बनाने के लिए जन संवाद की व्यवस्था की गई है.

आईएमए ने एक बयान में कहा, ‘डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखकर हम बहुत आहत हैं. यह दिन-ब-दिन हो रहा है. आईएमए हिंसा के खिलाफ कानून के लिए दबाव बना रहा है.’अब स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने इन खबरों पर सख्त रुख अख्तियार किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि डॉक्टरों के साथ किसी भी तरह की हिंसा गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आती है. मंत्रालय ने राज्यों को लिखे एक खत में निर्देश दिया है कि डॉक्टरों की सुरक्षा का पूरा खयाल रखा जाए.

इस खत में कहा गया है कि केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी, जो अब एक एक्ट बन चुका है, जिसके मुताबिक डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा एक गैर जमानती और संज्ञेय अपराध है. मंत्रालय ने कहा है कि सभी राज्य सुनिश्चित करें कि चिकित्सक भयमुक्त माहौल में लोगों का इलाज कर सकें.

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