वर्ल्ड एमएसएमई फोरम (डब्ल्यू.एम.एफ.) ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर भारत के खिलाफ किए गए षड्यंत्र के बारे में जागरूक करने की कोशिश की है। फोरम का कहना है कि देश को पाकिस्तान युद्ध से सबक लेने की जरूरत है।

पाकिस्तान का रक्षा बजट भारत के मुकाबले 15 प्रतिशत है। फिर भी पाकिस्तान ने बिना कुछ सोचे समङो भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। भारत 3889 बिलियन की जीडीपी के साथ दुनिया में 5वें स्थान पर है जबकि पाकिस्तान 375 बिलियन की जीडीपी के साथ 42वें स्थान पर है। पाकिस्तान के इस दुस्साहस का मुख्य कारण चीन, तुर्की व अजरबैजान रहे है। भारत इन देशों को व्यापार में मुनाफा पहुंचा रहा है और ये देश उस पैसे को भारत के खिलाफ खर्च कर रहे हैं।

भारत को ऐसे देशों पर शुल्क और अन्य व्यापारिक टैरिफ लगाकर सबक सिखाना चाहिए। फोरम के प्रधान बादीश जिंदल का कहना है कि सबसे बड़ा ‘सांप’ चीन है, जो देश का सबसे बड़ा दुश्मन है और 12 लाख करोड़ का सामान भारत में बेचकर भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहा है। चीन भारत को सीधे तौर पर 8 लाख करोड़ का सामान बेच रहा है और लगभग 4 लाख करोड़ का सामान अंडर बिलिंग के जरिए दूसरे देशों के माध्यम भारत भेज रहा है। जबकि भारत चीन को सिर्फ 1.5 लाख करोड़ का सामान भेजता है। ऐसे में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 10 लाख करोड़ से ज्यादा है। चीन को सबक सिखाने और भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार को तुरंत चीन पर 100 फीसदी तक आयात शुल्क लगाने की जरूरत है।

इसी तरह पाकिस्तान के पीछे छिपकर भारत पर हमला करने वाला दूसरा देश मलेशिया है। भारत मलेशिया को 7 अरब डॉलर का सामान निर्यात करता है लेकिन बदले में मलेशिया से 13 अरब डॉलर का सामान खरीदता है। इसमें मुख्य रूप से पाम ऑयल शामिल है। भारत मलेशिया से 50,000 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत का पाम ऑयल आयात कर रहा है। मलेशिया को सबक सिखाने के लिए जल्द से जल्द पाम ऑयल की खरीद पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है क्योंकि देश की जनता देश में उत्पादित महंगा पाम ऑयल तो खा सकती है लेकिन उन्हें यह बर्दाश्त नहीं है कि मलेशिया के पैसे से बने गोला-बारूद का इस्तेमाल देश के सैनिकों को मारने के लिए किया जाए।

जिंदल का कहना है कि भारत के अन्य दो दुश्मन देश तुर्की व अजरबैजान हैं। इन दोनों देशों के साथ भारत का ज्यादा व्यापार नहीं है लेकिन देश के लाखों लोग यात्र के नाम पर इन देशों को शहरी मुनाफा दे रहे हैं। पिछले साल भारत से 2,43000 पर्यटक तुर्की गए थे। इसी तरह भारत से 3,30000 भारतीय पर्यटकों ने अजरबैजान का दौरा किया। इन देशों की सरकारों को इस पर्यटन व्यवसाय से बड़ा मुनाफा हो रहा है। इन दुश्मन देशों से हो रहा व्यापार भी रोकना जरूरी है।