भोपाल। राज्य सरकार ने अनाधिकृत कॉलोनियों को वैध करने के नियम लागू कर दिए हैं। इन नियमों में यह प्रावधान भी किया गया है कि यदि कॉलोनाईजर कॉलोनी के भीतर सड़क, ग्रीन एरिया या अन्य उपयोग के लिए तय स्थान पर अनाधिकृत निर्माण कर उसका विक्रय करता है तो उसे तीन से सात साल तक की जेल या दस लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। नगरीय प्रशासन विभाग ने मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि संशोधन अध्यादेश 2021 को राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा था।

उनकी मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया गया है। राज्य सरकार ने इसमें अवैध कॉलोनी के स्थान पर इसे अनाधिकृत कॉलोनी के नाम से जारी किया है। अध्यादेश में यह प्रावधान किया गया है कि निगम के स्वामित्व की या उसमें निहित अथवा उसके प्रबंधन के अधीन आने वाली कोई भी अचल अथवा चल सम्पत्ति का विक्रय, पट्टे, अंतरण अथवा अन्य व्ययन राज्य सरकार द्वारा तय मापदंडों के अलावा नहीं किया जा सकेगा। किसी भी कॉलोनी में भूखंडों या निवास इकाइयों का आकार, संख्या ऐसी होगी जैसी राज्य सरकार तय करेगी। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग के व्यक्तियों के लिए भी पूर्व विकसित भूखंड या निर्मित निवास इकाइयां उपलब्ध कराना होगा। भूखंड या इकाइयों का विक्रय राज्य सरकार द्वारा तय नीति के अनुसार किया जा सकेगा। हर कॉलोनी में सड़क, खुला स्थान ,जल आपूर्ति,बिजली, सीवेज तथा आमोद-प्रमोद के क्षेत्र उपलब्ध कराना होगा।  यदि गरीबों के लिए आवास नहीं बनाए जाते है उनके बदले आश्रय शुल्क जमा कराना होगा। कॉलोनी की सही जानकारी बड़े पैमाने पर जनता के लिए प्रदर्शित करना होगा।

नियमों में यह प्रावधान भी यदि कॉलोनी के लाइसेंस की शर्तों को तोड़ा जाता है तो आयुक्त कॉलोनाइजर की बैंक गारंटी को भुना सकेगा। उसके बंधक संपत्ति को बेच सकेगा और इस राशि से लाइसेंस की शर्तों को पूरा करने पर खर्च कर सकेगा। यदि इस राशि से भी ये काम नहीं होते है तो कॉलोनाइजर से भू राजस्व के रूप में वसूली की जाएगी। सम्पत्ति कुर्क भी की जा सकेगी।

बिना अनुमति कॉलोनी बनाए जाने पर अनाधिकृत कॉलोनी मानी जाएगी। कॉलोनाइजर को दी गई अनुमति के प्रयोजनों से हटकर भी कोई निर्माण और विक्रय किया जाता है तो उसके खिलाफ तीन साल से सात साल की सजा और दस लाख रुपए तक के जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकेगा।

 शासकीय भूमि,विकास प्राधिकरण, गृह निर्माण मंडल स्थानीय निकायों की भूमि पर निर्माण अनाधिकृत माना जाएगा। इसी तरह सड़क, पार्क,नदियों,नालियों , खेल मैदानों और जल निकायों की जमीनों पर भी निर्माण अनाधिकृत माना जाएगा। अनाधिकृत कॉलोनी में हुए निमा्रण को निकाय द्वारातय सीमा तक विकास शुल्क लेकर वैध किया जा सकेगा।  

अनाधिकृत कॉलोनी निर्माण के मामले में किसी अनाधिकृत निर्माण का निरीक्षण करने, रिपोर्ट देने, रोकने या हटाने के लिए जिम्मेदार अधिकारी यदि जानबूझकर ऐसी अनाधिकृ कॉलोनी के विकास या उसमें निर्माण के विरुद्ध कार्यवाही करने में चूक करता है  या उसे हटाने के लिए पुलिस अधिकारी, संरक्षण और सहायता उपलब्ध नहीं कराता है तो उसे तीन वर्ष तक के सादे कारावास या दस हजार रुपए तक के जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकेगा।

अनाधिकृत निर्माण जिसमें खुले स्थान पर किया गया निर्माण शामिल है फर्श क्षेत्र अनुपात के अतिरिक्त तीस प्रतिशत की सीमा तक शुल्क चुकाकर वैध किया जा सकेगा। ऐसे निर्माण ही नियमित किए जा सकेंगे जो जल निकायों, नदी किनारे से तीस मीटर, नाले या जल धारा के क्षेत्र के भीतर नहीं है। अग्नि सुरक्षा को प्रभावित नहीं करता है। पर्यटन महत्व के क्षेत्र पर्वतीय स्थान के भीतर नहीं हो। नियमित भवन पंक्ति को प्रभावित नहीं करता हो। सड़क की सीमाओं के भीतर या सार्वजनिक सड़कों के संरेखड़ को प्रभावित करने वाले क्षेत्र के भीतर नही आता है उसे ही नियमित किया जा सकेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *