मुरैना के कैलारस कस्बे में अंध-विश्वास ने तीन बच्चों की जान ले ली। बच्चों के माता-पिता यही समझते रहे कि उनके घर पर भूत-प्रेत या देवीय प्रकोप है, जिससे उनके बच्चे बीमार पड़े हैं लेकिन उनको दिमागी या चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) था। इसकी वजह से बच्चों को झटके आ रहे थे। हालांकि डॉक्टर भी अभी सही नहीं बता पा रहे हैं कि बच्चे कौन सी बीमारी से ग्रसित हुए हैं।
बता दें, कि कैलारस कस्बे के भिलसैंया गांव में कल्याण यादव का परिवार रहता है। उसके पांच बच्चों में तीन बच्चे अचानक बीमार पड़ गए। उन बच्चों को दिमागी बुखार था। तीन बच्चों में दो लड़कियां 3 वर्ष की सुमन, 6 वर्ष की राधिका व 17 माह का नवजात बेटा विपिन एक-एक करके बीमार हुए थे। परिवार के तीनों बच्चों की मौत हो जाने से घर भी खाली हो गया है।
सुमन को आने लगे झटके
कल्याण यादव की सबसे छोटी बेटी सुमन रात को बीमार हुई और उसे झटके आने लगे। जिससे घर वाले समझे कि कोई देवीय प्रकोप है या भूत-प्रेत का साया है। वह झाड़-फूंक करने वाले को बुला लाया और झाड़-फूंक कराई, लेकिन वह सही नहीं हुई। बाद में परिजनों के कहने पर उसे कैलारस सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र लाया गया। जब वह वहां भी सही नहीं हुई तो ग्वालियर स्थित कमलाराजा हॉस्पिटल भेजा गया जहां उसकी मौत हो गई। इसके बाद 19 दिसंबर को कल्याण की बड़ी बेटी राधिका जिसकी उम्र 6 वर्ष थी, वह भी बीमार हो गई। उसके भी सिर में सूजन थी और झटके आ रहे थे। उसको भी ग्वालियर केआरएच में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई। उसके बाद ठीक दो दिन बाद 21 दिसंबर को उसका 17 माह का नवजात बेटा विपिन जो कि मां की गोद में रहता था वह भी इसी बीमारी से पीड़ित हुआ और उसकी मौत हो गई। घर में लगातार तीन मौतों के बाद कल्याण यादव का मानना है कि उसके घर पर भूत-प्रेत का साया है।
बच्ची का पीएम कराने तैयार नहीं हुआ पिता
कल्याण यादव की आखिरी बच्ची, 3 साल की सुमन की मौत 22 दिसंबर को हुई तो सीएमएचओ व चिकित्सकों ने कल्याण से कहा कि वह उस बच्ची का पीएम करा लेने दे, जिससे उन्हें बीमारी के कारणों का पता लग सके लेकिन उसके लिए वह तैयार नहीं हुआ तथा उसने पीएम के लिए अण्डर टेकिंग देने से इंकार कर दिया।
दोनों बड़ी बेटियों को भेजा रिश्तेदारों के यहां
कल्याण यादव के कुल पांच बच्चे थे। जिनमें दो बड़ी बेटियां है जिनकी उम्र क्रमश: 10 व 8 साल की है। उसके बाद तीसरी बेटी राधिका थी जिसकी उम्र 6 वर्ष थी, जिसकी मौत सबसे पहले 19 दिसंबर को सुबह 6 बजे हुई थी। चौथी बेटी सुमन थी जिसकी उम्र महज 3 वर्ष थी तथा जिसकी मौत 22 दिसंबर को हुई थी। चार बेटियों के बाद पांचवा बेटा विपिन ने जन्म लिया था जो महज 17 माह का नवजात था, जिसकी 21 दिसंबर को मौत हो गई। कल्याण यादव की दो बेटियों व बेटे विपिन की मौत हो जाने के बाद उसने अपनी सबसे बड़ी दोनों बेटियों को अपने रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। बताया जात रहा है कि उसकी दोनों बेटियों की भी तबीयत खराब है। इसलिए उसने उन्हें रिश्तेदारों के घर भेज दिया है।म इसके साथ ही उसने अपनी पत्नी रचना यादव को शिवपुरी स्थित एक ओझा के पास भेजा है, क्योंकि उसे इस बात का पक्का विश्वास है कि अब चौथा नंबर उसकी पत्नी रचना का है।
गांव के बाहर बने देवी के मंदिर से जोड़ रहे कहानी
भिलसैंया गांव के बाहर देवी जी का मंदिर है। गांव के लोग तथा कल्याण यादव अपने घर में हुई बच्चों की मौत को देवीजी के मंदिर से जोड़ रहे हैं। जब चिकित्सक डॉ. महेन्द्र यादव इस गांव में पहुंचे तो गांव के लगभग 50-55 ग्रामीण इसी मंदिर पर मौजूद थे। चिकित्सक का मानना है कि कल्याण अगर इस बात को मानने पर भी तैयार हो जाए कि बच्चों की मौत बीमारी से हुई है, लेकिन गांव वाले उसे बार-बार इसका विश्वास दिला रहे हैं कि यह मौतें देवी के प्रकोप या भूत-प्रेत के कारण हुई हैं। गांव वालों का कहना है कि कुछ साल पहले भी दो-तीन वयस्क लोगों की गांव में इसी तरह से मौत हुई थीं। इसलिए पूरा गांव इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि यह मौतें किसी बीमारी के चलते हुई हैं।
झटकों के कारण मान रहे भूत-प्रेत या देवी का प्रकोप
जिन तीनों बच्चों की मौत हुई है, उनमें एक बात कॉमन थी, और वह थी झटके आना। झटके आने से गांव के लोगों के मन में इस बात को लेकर पक्का विश्वास हो चुका है कि यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि देवी का प्रकोप है या फिर भूत-प्रेत का चक्कर।
गांव में साफ-सफाई, एक ही कुएं से पी रहे पानी
डॉ. महेन्द्र यादव ने बताया कि कल्याण यादव के घर के आस-पास साफ-सफाई है। कल्याण यादव के आस-पास के सभी घरों के लोग एक ही कुएं में पड़ी मोटर से निकलने वाले पानी को पी रहे हैं। साफ-सफाई को देखकर यह कहना मुश्किल है कि कोई संक्रमित बीमारी हो सकती है।
संभवत: दिमागी बुखार से हुई मौत
कल्याण यादव के बच्चों की मौत किस वजह से हुई यह कहना अभी मुश्किल है। बीमारी का पता लगा रहे हैं। संभवत: दिमागी या चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) था जो कि समय बढ़ने के साथ बढ़ गया होगा जिससे मौत हो गई। हमसे बोला कि अब उन बच्चों मां की बारी है तो हमने उसे बहुत समझाया कि भूत-प्रेत का प्रकोप नहीं है। यह तुम्हारी दिमागी वहम है।