भोपाल। प्रदेश के उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से सटे क्षेत्रों भिंड, मुरैना और रीवा, सतना में बिजली बिल की वसूली में वितरण कम्पनियों की नाकामी को देखते हुए अब सरकार ने तय किया है कि इनका बकाया बिल स्थानीय सक्षम लोगों से वसूल कराया जाए। ऐसे युवाओं की टोली को शहर और गांव में कालोनी और ट्रांसफार्मर सप्लाई क्षेत्र के आधार पर बिल वसूली की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी और बदले में इंसेंटिव दिया जाएगा।
सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था से सरकार का डूबा हुआ धन वापस लौटेगा जो जमा नहीं किया जा रहा है। ऊर्जा विभाग के अफसरों के बिल वसूली परफार्मेंस में यह बात सामने आई है कि पूर्व और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के आधा दर्जन से अधिक जिले ऐसे हैं जहां लोग बिजली का उपभोग करने के बाद भी बिल जमा नहीं करते। यहां करोड़ों रुपए का बकाया है और वसूली के लिए जाने वाले बिजली अमले के साथ मारपीट तक की जाती है। सबसे अधिक शिकायत बिजली तारों में हुकिंग कर (कटिया फंसाकर) बिजली चोरी करने और बिजली के तार रातों रात चोरी कर लिए जाने को लेकर हैं। इस कारण बिजली सप्लाई पर असर पड़ता है।
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के यहां तो सप्लाई को लेकर सर्वाधिक शिकायतें सरकार तक पहुंची हैं। इसलिए सरकार ने तय किया है कि अब इसके लिए स्थानीय युवाओं की मदद ली जाएगी जिनका क्षेत्र में प्रभाव हो और वे बिल वसूलकर कम्पनी के खाते में जमा करा सकें।
फाइनेंस कंपनियों की तर्ज पर युवाओं की टोली बिजली बकायादारों के घर पहुंचेगी और वसूली के लिए दबाव बनाकर राशि जमा कराएगी। हालांकि अधिकारियों के एक वर्ग का यह भी कहना है कि इससे अगर विवादित लोगों को काम मिल गया तो उनकी वसूली की स्टाइल से सरकार और कम्पनियों की छवि पर विपरीत असर भी पड़ सकता है।
राज्य सरकार ने बिजली उत्पादन के लिए कोयले की खरीदी करने वाले अफसरों को कहा है कि कोयला खरीदी में क्वालिटी का ध्यान रखा जाए। गुणवत्ता वाला कोयला ही खरीदा जाए ताकि बाद में दिक्कत न हो। इससे थर्मल पावर स्टेशन के मेंटेनेंस को कम करने में भी आसानी होती है।