भोपाल।   देश में हर तीसरी महिला इस वक्त घरेलू और यौन हिंसा का शिकार हो रही है। मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं है, यहां भी हर तीसरी महिला को इसका शिकार होना पड़ रहा है। यहां पर हर सौ महिलाओं में 31 महिलाएं इसका शिकार हो रही हैं। हालांकि यह स्थिति तब है, जब आंकड़ों में सुधार दिखाई दे रहा है। मध्यप्रदेश में 2015-17 की रिपोर्ट के मुताबिक, हर सौ महिलाओं में 35 घरेलू हिंसा का शिकार हो रही थीं। फिलहाल मध्यप्रदेश घरेलू हिंसा में देश के भीतर 12वें नंबर पर है।

हाल ही में जारी हुई नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (national family health survey 5) की नई रिपोर्ट कहती है, देश में आज भी लगभग एक तिहाई महिलाएं शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती हैं। 18-49 साल की 30 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक हिंसा का शिकार हुई हैं, वो भी 15 से कम साल की उम्र से ही। इन आंकड़ों में से सिर्फ 14 प्रतिशत महिलाएं ही मदद मांगने के लिए आगे आई हैं। यानी उन्होंने किसी से अपने साथ हुई हिंसा का ज़िक्र किया है।

32 फीसदी शादीशुदा घरेलू हिंसा का शिकार

विवाहित महिलाओं की बात करें तो तक़रीबन 32 प्रतिशत महिलाओं ने अपने जीवन में घरेलू हिंसा का सामना किया है। रिपोर्ट में सिर्फ 18 से 49 तक की उम्र वाली महिलाओं के बारे में डेटा दिया गया है। इसमें 28 फीसदी महिलाएं शारीरिक हिंसा का शिकार हुई हैं, तो 14 फीसदी महिलाओं ने भावनात्मक यानी इमोशनल हिंसा झेली है। उनके अलावा 6 फीसदी महिलाओं ने यौन हिंसा का सामना किया है।

80 फीसदी मामलों में पति ही अपराधी

वैवाहिक हिंसा में सबसे ज़्यादा मामले कर्नाटक से हैं। यहां 48 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ये राज्य पहले 23वें स्थान पर था। मामले दोगुने हुए हैं, अब यह 24वें पर पहुंच गया। अगर दूसरे राज्यों की बात करें तो सबसे कम मामले लक्षद्वीप में रिपोर्ट किए गए हैं, यहां 2.1 फीसदी मामले हैं। यहां पर सुधार की दर भी बेहतर है, 2015-17 की रिपोर्ट में यहां 8.9 फीसदी मामले आए थे। रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा के 80 फीसदी से ज़्यादा मामलों में अपराधी पति ही होता है।

घरेलू हिंसा के पीछे आखिर क्या है वजह?

रिपोर्ट (nfhs5) इसके पीछे कई कारणों को दर्शाती है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर, परिवेश, शराब, उम्र आदि का हवाला दिया गया है। अब इन फेक्टर्स पर एक-एक कर आंकड़ों सहित नज़र ड़ालते हैं।

शराब आई तो मामले तिगुने से भी ज्यादा

शराब की बात करें तो यह महिलाओं के साथ होने वाली हिंसाओं का एक बड़ा कारण है। जहां पति शराब पीते हैं, वहां 70 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, जबकि जिन घरों में शराब का प्रचलन नहीं है, वहां केवल 23 फीसदी महिलाएं इसका शिकार हुई हैं।

शिक्षा आई तो कारण घटी दर

पति-पत्नी के शिक्षा के स्तर की बात कर करें तो जहां दोनों की स्कूली शिक्षा लगभग बराबर है, वहां ऐसे मामलों की दर 26 फीसदी है। जहां दोनों की ही स्कूली शिक्षा नहीं है या एक की कम है, ऐसे में घरेलू हिंसा 44 प्रतिशत दर्ज की गई है।

बढ़ती उम्र में घरेलू हिंसा

क्या आप जानते हैं कि शादि के रिश्ते में जैसे-जैसे दंपती आगे बढ़े हैं वैसे ही महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले दोगुने हुए हैं। 18-19 साल के जोड़े में ये मामले 16.4 फीसदी हैं, वहीं जब उम्र 40-49 के बीच हुई तो ये बढ़कर 32.1 फीसदी दर्ज किए गए।

21 फीसदी शारीरिक हिंसा

शारीरिक हिंसा में कटना, चोट या दर्द सबसे आम प्रकार की चोटें (21%) हैं। 8 प्रतिशत महिलाओं ने आंखों की चोट, मोच, अव्यवस्था या जलन जैसी गंभीर चोटों के बारे में बताया है। गहरे घाव, टूटी हड्डियां या दांत टूटने के बारे में पांच फीसदी महिलाओं ने बताया है। तीन प्रतिशत महिलाओं ने गंभीर रूप से जलने के बारे मेंबताया है।

मदद लेने में अब भी पीछे

मदद लेने की दर में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे—3 से लेकर अब तक बहुत बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। 2005-06, में ये दर 24 फीसदी थी, 2015-2017 में ये घटकर 14 फीसदी रह गई। जबकि 2019-21 में भी आंकड़ा 14 फीसदी ही रहा।