ग्वालियर।  साध्वी सुश्री मंदाकिनी राजे कथा वाचक ने कहा है कि भगवत कर्म करने से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। सुश्री मंदाकिनी राजे आज सितार वाली बगिया नाट्य कला मंदिर के पास गीता कालोनी में चल रही संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के छठवे दिन व्यासपीठ से कथा श्रवण करा रहीं थी।

सुश्री मंदाकिनी राजे ने बताया कि महाभारत की कथा अनुसार श्रीकृष्ण ने रूक्मिणी का हरण कर उनके साथ विवाह रचाया था। भगवान श्रीकृष्ण के रूक्मिणी सहित 108 विवाह की कथा का वर्णन किया। उन्होने कहा कि यह सर्व विदित है कि श्रीकृष्ण राधा से प्रेम करते थे पर इनका कभी विवाह नहीं हुआ। धार्मिक मान्यता है कि राधा श्रीकृष्ण की शक्ति है। जिन्हें राधा-कृष्ण के रूप में आज भी सर्वज्ञ पूजा जाता है।

उन्होने विस्तार से बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की रूक्मिणी, जाम्बन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्र बिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मण नाम की आठ पत्यिां थी। उन्होने भूमासुर दानव द्वारा अमर होने के लिए सोलह हजार कन्याओं की बलि देने का प्रसंग बताया, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उन कन्याओं को लोक लाज से बचाने के लिए सोलह हजार रूपों में प्रकट होकर उनसे विवाह रचाया था।

कथा व्यास श्री मंदाकिनी राजे ने कहा कि भगवत कर्म करने से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल प्राप्त करता है। उन्होने कहा कि मनुष्य को सद्कार्य करना चाहिये। भगवान में विष्वास करने वाले लोग सदकर्म करके ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करते हैं। शास्त्र कहते हैं कि गुरू द्वारा बताये गये ज्ञान के रास्ते पर चलने से भगवान का ध्यान करने से मनुष्य की मुक्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण की कथाये आनंदमयी ज्ञान है जिसके मार्ग पर चलकर मनुष्य अपनी मुक्ति पा सकता है।

कार्यक्रम में कथा पारीक्षत श्रीमती सोनम हुकुम सिंह परिहार, श्री 108 महंत धर्मशरण त्यागी जी महाराज, हाकिम सिंह परिहार, राव गोपाल खंगार, लाल सिंह, मनेाज सिंह, चरण सिंह, सोनू सिंह, विजय सिंह, बनवारी सिंह, अंकुर सिंह, नरेश सिंह, विक्की प्रशांत उॉ. राकेश सिंह परिहार सहित अनेकों श्रद्धालु समाज बंधु मांताएं बहिने उपस्थित रही।