भोपाल । प्रदेश में चिन्हित और सनसनीखेज अपराधों की मॉनिटरिंग करने के लिए अब नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। जबकि पुलिस मुख्यालय के आला अफसर समय-समय पर इस तरह के अपराधों की मॉनिटरिंग करने के लिए निर्देश जारी करते रहते हैं। इसके बाद भी इस तरह के मामलों की सही से विवेचना और अभियोजन में मजबूत पक्ष नहीं रखने के कारण सजा का प्रतिशत कम है।

महिला अपराधों में प्रदेश की स्थिति देश में लंबे अरसे से टॉप पांच के प्रदेशों में रही है। इसके बाद भी राजधानी में भी इस तरह की सही से मॉनिटरिंग नहीं हो पाती। इसके चलते ही अब मंत्रालय स्तर पर भी अब ऐसे अपराधों की मॉनिटरिंग करवाने की व्यवस्था हुई, जबकि पुलिस मुख्यालय में पूर्व में ही ऐसे कई आदेश जारी हो चुके हैं, जिनमें चिन्हित और सनसनीखेज मामलों की मॉनिटरिंग करवाने की बात की जा चुकी है।

आठ साल पहले जारी हुआ था आदेश
8 साल पहले सीआईडी के तत्कालीन एडीजी राजीव टंडन ने इसका आदेश 22 जनवरी 2014 को जारी किया था। जो सभी पुलिस अधीक्षकों के अलावा रेल पुलिस अधीक्षकों को भेजा गया था, जिसमें एडीजी ने यह माना था कि शासन द्वारा चिन्हित एवं सनसनीखेज अपराधों के जारी संमस और वारंट की तामीली को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, जिसमें इन अपराधों की विवेचना में विलंब हो रहा है। और समय पर साक्ष्य नहीं हो पाने से अभियोजन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए थाने में अलग से एक रजिस्टर चिन्हित जघन्य, सनसनीखेज अपराधों के पर्यवेक्षण को लेकर लेख किया जाए। इसका पर्यवेक्षण प्रत्येक 15 दिन में एसडीओपी और एएसपी करेंगे। इसी आदेश में यह भी निर्देशित किया गया था कि जघन्य, सनसनीखेज खेज अपराधों अपराधों के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी ऐसे अपराधों की केस डायरी संबंधित अभियोजन अधिकारी को दिखा कर मार्गदर्शन लें और उसके बाद चालान पेश करें। इसके बाद इसी तरह का एक अन्य आदेश तत्कालीन डीजीपी सुरेंद्र सिंह ने भी निकाला था। इस तरह से चिन्हित और जघन्य अपराधों की मॉनिटरिंग को लेकर आदेश बार-बार निकलते हैं, लेकिन मॉनिटरिंग सही से नहीं हो पाती।

सीआईडी में भी है सेल
प्रदेश में होने वाले चिहिन्त और जघन्य अपराधों पर नजर रखने और अपडेट लेने के लिए पुलिस मुख्यालय में भी सेल बनी हुई है। सीआईजी इस तरह के मामलों को लगातार वॉच करती है। वहीं डीजीपी के यहां पर भी ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग करने के लिए एक सेल होती है।

राजधानी में ही नहीं हुई मॉनिटरिंग
पुलिस मुख्यालय के नाक के नीचे राजधानी में ही ऐसे कई मामले में जिसमें चिन्हित मामलों में आरोपियों को अग्रिम जमानत मिल जाती है। ऐसा ही एक मामला अशोक गार्डन थाना क्षेत्र का है। यहां पर 19 अगस्त 2021 को एक पॉक्सों एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था। जिसमें अरुण अग्रवाल सहित कई आरोपी बनाए गए थे, अरुण अग्रवाल ने इस मामले में अग्रिम जमानत की याचिका सेशल कोर्ट में लगाई, जो रिजेक्ट हो गई। इसके बाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई, यहां से अरुण अग्रवाल को अग्रिम जमानत मिल गई।