अगर किसी को अचानक तेज बुखार आता है और उसके साथ ब्लड प्रेशर भी कम हो रहा है, तो यह डेंगू का संकेत हो सकता है. आमतौर पर डेंगू में बुखार 102 डिग्री या उससे अधिक हो सकता है. इसके साथ शरीर में कमजोरी, चक्कर आना, आंखों के पीछे दर्द, बदन दर्द और थकावट महसूस होती है. जब ब्लड प्रेशर 90/60 या उससे कम हो जाए, तो यह डेंगू के गंभीर रूप की तरफ इशारा करता है, जिसे ‘डेंगू हेमोरेजिक फीवर’ कहा जाता है.

डेंगू के लक्षणों को हल्के में न लें


डेंगू के शुरुआती लक्षण सामान्य वायरल बुखार जैसे ही होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह गंभीर रूप ले सकता है. सिर दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, त्वचा पर लाल चकत्ते, पेट में दर्द और प्लेटलेट्स में गिरावट इसके प्रमुख संकेत हैं. अगर इन लक्षणों के साथ ब्लड प्रेशर भी कम हो रहा है, तो तुरंत जांच कराना बेहद जरूरी हो जाता है.

ये टेस्ट जरूर कराएं


अगर डॉक्टर को डेंगू की आशंका हो, तो वे कुछ जरूरी टेस्ट की सलाह देते हैं. इनमें सबसे पहले आता है NS1 एंटीजन टेस्ट, जो डेंगू की शुरुआत के 5 दिनों में किया जाता है और वायरस की पुष्टि करता है. इसके अलावा CBC (Complete Blood Count) करवाना जरूरी होता है, जिससे प्लेटलेट काउंट और शरीर में संक्रमण का स्तर पता चलता है.

डेंगू के कुछ दिनों बाद IgM और IgG एंटीबॉडी टेस्ट किए जाते हैं, जिससे यह पता चलता है कि शरीर ने वायरस के खिलाफ कितनी प्रतिरोधकता बनाई है. कुछ मामलों में लीवर और किडनी फंक्शन टेस्ट (LFT/KFT) भी करवाए जाते हैं क्योंकि डेंगू इन अंगों को भी प्रभावित कर सकता है.

समय पर देखभाल जरूरी

डेंगू का कोई विशेष इलाज नहीं होता, लेकिन सही समय पर लक्षणों का इलाज और शरीर की देखभाल से इसे संभाला जा सकता है. रोगी को पूरी तरह आराम देना, तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, नींबू पानी, जूस और ओआरएस देना बेहद जरूरी है. प्लेटलेट्स का स्तर लगातार मॉनिटर करना चाहिए. अगर यह बहुत नीचे चला जाए तो डॉक्टर की सलाह पर अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है.

इन बातों का रखें खास ध्यान

डेंगू के दौरान कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं न लें, खासकर दर्द निवारक दवाएं जैसे ब्रूफेन या डाइक्लोफेनैक. ये दवाएं ब्लीडिंग का खतरा बढ़ा सकती हैं. घर में मच्छरों से बचाव करें, पानी को इकट्ठा न होने दें और मच्छरदानी का प्रयोग करें.