लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए गए बयान को लेकर उन पर हमला किया। अपने भाषण के दौरान उन्होंने पुराने दोस्त राहुल गांधी और गौरव गोगोई को भी निशाने पर लिया। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी के बुधवार (9 अगस्त) को दिए गए बयान का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ”कोशिश रहती है कि व्यक्तिगत हमले नहीं हो। जब राहुल गांधी ने सदन में कहा कि प्रधानमंत्री के लिए मणिपुर हिंदुस्तान का हिस्सा नहीं है।”
सिंधिया ने आगे कहा, ”मैं बताना चाहता हूं कि जिस प्रधानमंत्री ने उत्तर पूर्वी राज्य को विश्व से जोड़ा है, जिस प्रधानमंत्री का उत्तर पूर्वी राज्य से दिल का रिश्ता है। देश के दुश्मनों को उत्तर पूर्वी राज्यों से खदेड़ कर भगाया है। जिस पीएम के रोम रोम में भारत माता बसती हो। जिस पीएम ने अनुच्छेद 370 हटाया हो। मैं विपक्ष को बताना चाहता हूं कि भारत को अलग अलग टुकड़ों में देखने की विचारधारा आपकी (कांग्रेस) की है।”
सिंधिया ने कहा, ”आज मैं अपने एनडीए के गठबंधन और पीएम मोदी का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने बोलने का मौका दिया। जिस प्रजातंत्र के मंदिर में ऐसा दृश्य देख रहे हैं। 140 करोड़ की जनता जिससे प्रेरणा लेती है। वहां से स्पष्ट है कि इन लोगों को देश की चिंता है, न प्रधानमंत्री के पद की चिंता है, न राष्ट्रपति के पद की चिंता है। इन्हें बस इन्हें हैसियत की चिंता है।”
उन्होंने कहा, ”संसद में 20 साल हो गए लेकिन ऐसा दृश्य दो दशक में नहीं देखा। जिस तरीके से सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति के लिए शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उन्हें देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।” दरअसल अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि नीरव मोदी तो हजारों करोड़ लूटकर चला गया, लेकिन देश में पीएम नरेंद्र मोदी अब नीरव मोदी हो गए हैं।
बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मणिपुर में जो हो रहा वो निंदनीय है, लेकिन भारत के इतिहास के काले पन्ने पलटे तो मैं सवाल करना चाहता हूं कि साल 1964 में बंगाल में हुए दंगे को लेकर ये लोग (कांग्रेस) क्यों चुप थे? 1984 के सिख दंगे पर ये लोग मौन क्यों थे। इस दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई टोकने लगे तो सिंधिया ने कहा सुनने की क्षमता रखिए।
उन्होंने कहा, ”नॉर्थ ईस्ट की सारी समस्या कांग्रेस की तुष्ठिकरण के कारण शुरू हुई। साल 1960 के दशक में मणिपुर में अलगाववादियों ने हिंसा शुरू की तो कौन लोग इनसे चर्चा करने को तैयार थे। आप भूल गए कि मणिपुर जब 1993 में जल रहा था तो आपकी सरकार केंद्र और राज्य दोनों में थी।”
सिंधिया ने आगे कहा कि अधीर दा कह रहे हैं कि मणिपुर के सांसद क्यों नहीं बोले। साल 1993 में मणिपुर के सांसद ने रोते हुए कहा राज्य सरकार असहाय है। सरकार के पास हथियार खरीदने के लिए पैसे नहीं है। कृपया सोचिए कि मणिपुर देश का हिस्सा है। ऐसे में इसका असर देश पर होगा। सिंधिया ने कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए कहा कि औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी और अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता।