नई दिल्ली। गौतम अडानी के अगुवाई वाले अडानी ग्रुप की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। हिंडनबर्ग के बाद अब एक और रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप में निवेश के तरीके पर सवाल उठाए हैं। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से खुद अपने शेयरों को खरीदकर घरेलू बाजार में लाखों डॉलर का निवेश किया। इसके बाद गुरुवार सुबह अडानी समूह की सभी दस लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, अडानी ग्रुप ने OCCRP की इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। कंपनी ने इस रिपोर्ट को बकवास बताया है। आज मात्र तीन घंटें में अडानी ग्रुप को करीब 35,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। बुधवार के कारोबार खत्म होने तक ग्रुप का मार्केट कैप 10,84,668.73 करोड़ था जो अब घटकर 10,49,044.72 करोड़ पर आ गया है।

ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट यानी ओसीसीआरपी की ओर से लगाए गए आरोपों के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। ग्रुप के दस दस के दस शेयर लाल निशान पर कारोबार कर रहे हैं। अडानी पॉवर के शेयरों में 3 फीसदी से अधिक की गिरावट आई, जबकि अडानी ट्रांसमिशन के शेयर 3.3 फीसदी तक गिर गए। इसके अलावा अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर की कीमत में 2.50 प्रतिशत गिरी है, जबकि अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी टोटल गैस में 2.25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अडानी ग्रुप के सभी 10 के दस लिस्टेड कंपनियों में गिरावट की वजह में ग्रुप के कुल मार्केट कैप में 35624 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई है।

OCCRP ने लगाए ये गंभीर आरोप

दुनिया के दिग्गज निवेशक जॉर्ज सोरोस की ऑर्गेनाइज्ड क्राईम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट यानि OCCRP ने अडानी ग्रुप के निवेश पर गंभीर आरोप लगाए हैं। OCCRP ने दावा किया है कि अडानी फैमिली के भागीदारों ने शेयरों में निवेश करने के लिए ‘ऑफ शोर’ यानि Opaque फंड का इस्तेमाल किया है। OCCRP की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अडानी ग्रुप के कुछ सार्वजनिक तौर पर कारोबार करने वाले कंपनियों के शेयरों में अपारदर्शी मॉरीशस फंड के जरिये लाखों डॉलर का निवेश किया गया है।

अडानी ग्रुप का खंडन

इस बीच अडानी ग्रुप ने एक बयान में इन आरोपों को खारिज किया है। ग्रुप ने कहा कि यह सोरोस के सपोर्ट वाले संगठनों की हरकत लग रही है। विदेशी मीडिया का एक सेक्शन भी इसे हवा दे रहा है। ये सभी चाहते है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जिन्न को फिर से खड़ा हो जाए। यह दावे एक दशक पहले बंद मामलों पर आधारित हैं। तब DRI ने ओवर इनवॉइसिंग, विदेशों में फंड ट्रांसफर करने, रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शंस और एफपीआई के जरिए निवेश के आरोपों की जांच की थी। इसलिए इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।