रीवा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी शुक्रवार को मध्य प्रदेश के रीवा में 750 मेगावाट की सौर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया। पीएम मोदी ने इस प्रोजेक्ट का लोकार्पण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया। उन्होंने इस सोलर प्लांट की तुलना किसी खेल में लहलहाती फसल से की। उन्होंने कहा कि ऊपर से देखने पर यूं लगता है कि किसी खेत में फसल खड़ी हो।
इस प्लांट से हम दुनिया के टॉप-5 देशों में पहुंच गए हैं। ये 21वीं सदी का सबसे अहम कदम है। ये श्योर है, प्योर है और सेक्योर है। श्योर इस लिए क्योंकि दूसरे स्रोत खत्म हो सकते हैं, लेकिन सूरज दुनिया में हमेशा चमकेगा। प्योर इसलिए क्योंकि ये पर्यावरण को प्रदूषण नहीं करता, सुरक्षित रखता है। सेक्योर इसलिए क्योंकि आत्म निर्भरता का एक बड़ा प्रतीक है, प्रेरणा है।
बिजली की जरूरत बढ़ती जा रही है, ऐसे में बिजली की आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है, तभी आत्मनिर्भर भारत बन सकता है। इसमें सौर ऊर्जा एक बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाली है और हमारा प्रयास भारत की इसी ताकत को विश्वास देने की है। आत्मनिर्भरता और प्रगति की बात करते हैं, तो अर्थव्यवस्था की बात जरूर आती है। बिजली आधारित परिवहन के लिए नए-नए रिसर्च भी होने वाले हैं, जिससे आम आदमी का जीवन बेहतर होगा और पर्यावरण की रक्षा होगी।
अब पर्यावरण की सुरक्षा को काफी अहमियत दी जा रही है। अब ये जिंदगी जीने का तरीका बन चुका है। रिन्युएबल एनर्जी के बड़े प्रोजेक्ट लॉन्च करने के दौरान ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि पर्यावरण सुरक्षित रहे और इसका लाभ हर नागरिक को मिले। एक उदाहरण देते हुए पीएम बोले 6 साल में करीब 36 करोड़ एलईडी बल्ब पूरे देश में बांटे जा चुके हैं। 1 करोड़ से अधिक बल्ब देश में स्ट्रीट लाइट में लगाए हैं। सुनने में सामान्य है, लेकिन यह बड़ी बात है। जब ये एलईडी बल्ब नहीं था, तो इसकी जरूरत का अनुभव होता था, लेकिन तब कीमत बहुत अधिक थी। 6 साल में क्या बदला, एलईडी बल्ब की कीमत आज 10 गुना कम हो गई है।
दिल्ली मेट्रो इस प्रोजेक्ट के ग्राहकों में से एक होगा। यह दिल्ली मेट्रो को अपनी कुल उत्पादन का 24 प्रतिशत बिजली देगी जबकि शेष 76 प्रतिशत बिजली मध्य प्रदेश के राज्य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को आपूर्ति की जाएगी। इस परियोजना में एक सौर पार्क के अंदर स्थित 500 हेक्टेयर भूमि पर 250-250 मेगावाट की तीन सोलर एनर्जी यूनिट्स शामिल हैं। यह परियोजना सालाना लगभग 15 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी।