भोपाल। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में सीएमओ अरुण ओझा को गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने नगर परिषद नामली के अध्यक्ष के साथ मिलकर भ्रष्टाचार किया। अरुण ओझा के खिलाफ 2 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनकी वर्तमान पदस्थापना मध्यप्रदेश के सतना जिले में है। आज ही उनका ट्रांसफर सतना से रतलाम हुआ था। अरुण ओझा को परियोजना अधिकारी बनाया गया था। ट्रांसफर आदेश आते ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मजेदार बात यह है कि रतलाम के पुलिस रिकॉर्ड में अरुण ओझा फरार थे जबकि सतना में नौकरी कर रहे थे और उनका ट्रांसफर भी किया गया।

उल्लेखयनी है कि 1 जुलाई 2019 को नगर परिषद नामली के तत्कालीन पार्षद प्रकाश कुमावत ने 1 जुलाई परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष नरेंद्र सोनावा व तत्कालीन CMO अरुण ओझा के खिलाफ प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। कलेक्टर ने SDM ग्रामीण से शिकायत की जांच कराई थी। जांच में अध्यक्ष व CMO दोनों को संयुक्त रूप से भ्रष्टाचार का दोषी पाया था। जांच के बाद दोनों के खिलाफ 5 नवंबर 2019 को नामली थाने में FIR कराई गई थी। पुलिस भादंवि की धारा 409, 420, 467, 468, 471 के तहत प्रकरण दर्ज किया था।

इसके बाद दोनों फरार हो गए थे। पुलिस ने कई जगह तलाश की थी लेकिन वे नहीं मिले थे। इसी बीच जनवरी 2020 में सोनावा व ओझा के खिलाफ ठेकेदार के साथ मिलकर कोचा तालाब निर्माण में 1 करोड़ 10 हजार 757 रुपये की शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाकर वित्तीय अनियमितता करने के मामले में भी प्रशासन ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

इस मामले में पुलिस ने 4 जनवरी 2020 को नगर पालिका अध्यक्ष सोनावा, सीएमओ ओझा व ठेकेदार अख्तर के खिलाफ भादंवि की धारा 409, 420, 34 के तहत प्रकरण दर्ज था। सोनावा व ओझा ने पहले जिला और बाद में उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिए थे, लेकिन न्यायालयों से दोनों को अग्रिम जमानत नहीं मिल पाई थी। रतलाम ग्रामीण एसडीओपी मानसिंह चौहान ने बताया कि ओझा को दबिश देकर उसके जवाहर नगर स्थित निवास से गिरफ्तार किया गया। सोनावा की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय भोपाल ने विभाग के अनेक अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले किए है। इनमें कोटर नगर परिषद के सीएमओ अरुण ओझा भी शामिल है। ओझा को कोटर से सीएमओ से जिला शहरी विकास अभिकरण रतलाम के सहायक परियोजना अधिकारी पद पर स्थनांतरित किया गया है। उनका रतलाम आने के तबादला जिस दिन जारी हुआ, उसी दिन उनकी गिरफ्तारी भी हो गई। यह बात चर्चा की विषय बनी हुई है और सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर टिप्पणी वायरल हो रही है।

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