इंदौर। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में पदस्थ जस्टिस वंदना कसरेकर का तकरीबन 60 वर्ष की उम्र में रविवार को निजी अस्पताल में दुःखद निधन हो गया। उनके निधन से विधि जगत में शोक व्याप्त हो गया। मुख्यमंत्री सहित अन्य ने दी उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी है।
जस्टिस कसरेकर इंदौर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की आजीवन मेम्बर रही। उनका जन्म 10 जुलाई 1960 को हुआ था। अनेक वर्षों तक उन्होंने सिविल व कांस्टीट्यूशनल मामलों की वकालत की। वे 25 अक्टूबर 2014 को मप्र हाई कोर्ट में जस्टिस बनी और 27 फरवरी 2016 में परमानेंट जस्टिस बनी।
लंबे समय से वे किडनी की बीमारी से पीड़ित थी। कुछ दिनों से स्थानीय मेदांता हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था जहाँ आज सुबह 10:35 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। दो तीन दिन पहले इलाज के लिए उन्हें एयरलिफ्ट करकर दिल्ली ले जाना तय किया गया था जो बाद में कैंसल हो गया था। उनके मृदु,सौम्य व शालीन स्वभाव के सभी कायल थे। उनके निधन के समाचार से समस्त विधि जगत में शोक व्याप्त हो गया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेश भटनागर, उपाध्यक्ष अमरसिंह राठौर, सचिव पंकज सोहनी, इंदौर अभिभाषक संघ अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार वर्मा, सचिव कपिल बिरथरे सहित अनेक गणमान्य लोगों ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। ‘तेज़ समाचार डॉट इन परिवार’ भी आदरणीय जस्टिस वंदना कसरेकर जी के दुःखद निधन पर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
इंदौर की दोनों महिला जस्टिस कार्यकाल पूरा नही कर पाई
इंदौर में विधि जगत से जुड़े रहकर हाई कोर्ट जज बनी जस्टिस शुभदा वाघमारे अपना कार्यकाल पूरा नही कर पाई थी और उनका दुःखद देहावसान हो गया था। उसी तरह जस्टिस वंदना कसरेकर जी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। उनका रिटायरमेंट 9 जुलाई 2022 को होना था।
गत रविवार को उनसे बात हुई थी…
युवा अधिवक्ता अमित दुबे ने सोशयल मीडिया पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए लिखा-
‘पिछले रविवार कसरेकर मैडम से जब कहा कि ताई रिकवरी में टाइम लगेगा इसलिए आराम करना ज़रूरी है तो उन्होंने अपने स्नेहपूर्ण चिरपरिचित अन्दाज़ में कहा था- ‘हाँ रे, घर से ही काम करूँगी। जब ठीक नहीं लगेगा तो ब्रेक ले लूँगी।’ पिछले रविवार और इस रविवार में यूँ तो सात दिन का ही फ़ासला रहा पर ताई हमसे अंतहीन दूरी पर प्रयाण कर गयी। बस छोड़ गयी अनंत मीठी यादें जो हमारे आँसूओं में भी मुस्कुराएगी। सादर नमन।
