78वें कांस फिल्म फेस्टिवल में जब मौनी रॉय ने रेड कार्पेट पर कदम रखा, तो हर आंखें ठहर सी गईं। अभिनेत्री और एंटरप्रेन्योर के रूप में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी मौनी ने इस प्रतिष्ठित मंच पर सिर्फ़ एक ग्लैमर आइकन के तौर पर नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और सिनेमा विरासत की प्रतिनिधि बनकर सबका ध्यान खींचा।
कैरोलीन कॉउचर के बारीकी से डिज़ाइन किए गए आउटफिट और चोपार्ड के बेमिसाल आभूषणों के साथ मौनी का लुक मानो एक चलती-फिरती कलाकृति बन गया हो। उनका लुक जितना आधुनिक था, उतना ही उसमें भारतीय परंपरा की छवि भी झलक रही थी। पारंपरिक सौंदर्य और अंतरराष्ट्रीय फैशन की इस अनोखी जुगलबंदी ने मौनी को ना सिर्फ़ रेड कार्पेट की स्टार बना दिया, बल्कि वह एक बार फिर यह साबित करने में सफल रहीं कि भारतीय ग्लैमर किसी से कम नहीं।
यह मौनी की कांस में दूसरी उपस्थिति थी, और इस बार उनकी वापसी पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास से भरी और आकर्षक थी। उनके आत्म-विश्वास से भरे कदम, सहज मुस्कान और स्टाइलिश उपस्थिति ने ग्लोबल फैशन एक्सपर्ट्स और फैशन प्रेमियों के बीच उन्हें एक चर्चित नाम बना दिया है। लेकिन मौनी की मौजूदगी सिर्फ फैशन तक सीमित नहीं थी। यह भारत के रचनात्मक प्रभाव और वैश्विक मंचों पर उसकी मजबूत होती उपस्थिति का प्रतीक भी थी। मौनी का कान्स रेड कार्पेट पर चलना एक व्यक्तिगत उपलब्धि भर नहीं, बल्कि टेलीविज़न से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक की उनकी यात्रा का प्रतीकात्मक उत्सव भी था।
भारतीय कलाकारों के लिए मौनी की यह उपलब्धि प्रेरणा है कि ग्लोबल पहचान पाने के लिए केवल सिनेमा नहीं, बल्कि आत्म-प्रस्तुति, संस्कृति से जुड़ाव और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात कहने की क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। मौनी रॉय की कांस उपस्थिति ने यह भी दिखाया कि भारतीय सिनेमा और फैशन का दायरा अब स्थानीय सीमाओं से निकलकर वैश्विक हो चुका है। आज के दौर में जहां कंटेंट की कोई सीमा नहीं रही, वहीं कलाकार भी सीमाओं से परे जाकर अपनी पहचान बना रहे हैं और मौनी रॉय इसका जीवंत उदाहरण हैं।