इंदौर। कोरोना संकट के समय भाजपा नेताओं द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने के खिलाफ आज इदौर में कांग्रेस के तीनों विधायकों ने देवी अहिल्या की प्रतिमा के सामने धरना दिया। नेताओं को धरने से हटाने पहुंचे एसडीएम राकेश शर्मा ने घुटने के बल बैठकर उनसे बात की तो बवाल मच गया। भाजपा घुटनाटेक एसडीएम के खिलाफ ऐसी आग बबूला हुई कि कलेक्टर मनीष सिंह को एसडीएम को नोटिस जारी करना पड़ा।
इंदौर में उपचुनाव से पहले ही भाजपा और कांग्रेस की राजनीति चरम पर है। किसी भी पार्टी को कोरोना का कतई भय नहीं है। जब से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर पहुंचे हैं, तब से यह राजनीति गरम हो गई है। इस आग में घी डालने का काम शुक्रवार को पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता ने किया। उन्होंने प्रशासन की अनुमति लिए बिना केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के जन्मदिन पर गरीबों को राशन बांटने के लिए हजारों लोग एकत्रित कर लिए। इस आयोजन में ऐसी भीड उमड़ी की भारी अव्यवस्था हो गई। राशन की छीना झपटी हुई। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ीं। कांग्रेस ने इस घटना को लेकर सुदर्शन गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का कल ही दबाव बनाना शुरू कर दिया था। पुलिस ने देर रात एफआईआर दर्ज भी कर ली।
शनिवार को भाजपा नेताओं को सद्बुद्धि देने के नाम पर कांग्रेस के तीनों विधायक जीतू पटवारी, विशाल पटेल और संजय शुक्ला ने देवी अहिल्या की प्रतिमा के नीचे धरना शुरू कर दिया। कलेक्टर के आदेश पर धरना समाप्त करने पहुंचे एसडीएम राकेश शर्मा तीनों विधायकों से बात करने उनके सामने घुटने के बल बैठ गये। बातचीत के बीच बीच में वे विधायकों को हाथ जोड़कर कर धरना समाप्त करने को मनाते भी दिखते हैं। किसी ने इस घटना का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इसके भाजपा नेता आग बबूला हो गये।
भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ने आरोप लगाया कि एसडीएम को जीतू पटवारी ने मंत्री रहते इंदौर पदस्थ कराया, इसलिए वे उनके प्रति स्वामी भाव दिखा रहे हैं। यह मर्यादा के खिलाफ है। शर्मा मांग की कि कलेक्टर को तत्काल एसडीएम के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए। बताया जाता है कि इंदौर भाजपा के कई नेताओं ने कलेक्टर मनीष सिंह फोन कर एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाया।
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी मनीष सिंह ने एसडीएम राकेश शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में कलेक्टर सिंह ने कहा है कि आज राजबाड़ा में बिना अनुमति धरना दे रहे जन प्रतिनिधियों के समक्ष जिस स्वरूप में एसडीएम द्वारा जाकर चर्चा की गई है वह एक कार्यपालक मजिस्ट्रेट की पदीय गरिमा एवं प्रशासनिक अनुशासन और आचरण के अनुरूप नहीं है। उनके इस कृत्य से प्रशासन की छवि धूमिल हुई है। कलेक्टर ने इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा है कि क्यों न एक मजिस्ट्रेट की मर्यादा के विरुद्ध किए गए इस कृत्य के कारण संबंधित के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। कलेक्टर मनीष सिंह ने मौके पर तैनात संबंधित एसडीएम से उन परिस्थितियों की जानकारी भी तलब की है कि उन्हें क्यों इस स्वरूप में जाकर जन प्रतिनिधियों से चर्चा करनी पड़ी।