मध्यप्रदेश में एक किसान की बेटी ने कॉमर्स से ग्रेजुएशन और राजनीति में मास्टर्स किया। पिता को लगा कि बेटी अच्छी कंपनी में जॉब करेगी, लेकिन बिटिया को तो कुछ अलग ही करना था। वो अपनी जड़ों से जुड़कर थोड़ा हटके करना चाहती थी। उसने अपने पिता की तरह खेती करने की ठानी, लेकिन पारंपरिक नहीं आधुनिक खेती। बिटिया ने रोजले के फूलों से जूस बनाया, जो भारत का ऐसा पहला एनर्जी ड्रिंक था, जिसमें फूलों का इस्तेमाल हुआ।
खेती में इनोवेशन के लिए उसका सिलेक्शन इंदौर में 8 से 12 जनवरी तक होने वाली ग्लोबल समिट के लिए हुआ है। समिट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करने वाले हैं। हरदा की रहने वाली अर्चना नागर (39) को पारंपरिक खेती से कुछ अलग करना था। उसने अपनी मां निर्मला देवी (58) से मदद मांगी। बेटी के सपने पूरे करने के लिए मां भी खेती के लिए तैयार हो गईं। दोनों मां-बेटी रिसर्च करने लगीं। इसी जुनून ने अर्चना को ग्लोबल समिट में पहुंचाया।
ऑस्ट्रेलियन कंपनी ने दिए अफ्रीकी फूल के बीज
मैं खेती को लाभ का सौदा बनाकर ऐसा काम करना चाहती थी, जिसमें मेहनत और लागत कम लगे। फायदा ज्यादा हो। 5 साल पहले शहर में ऑस्ट्रेलिया बेस्ड कंपनी आई थी। उन्होंने हमें एक फूल के बारे में बताया। कहा कि आप हमारे लिए रोजले के फूल की खेती करो। उन्होंने इसके बीज दिए, लेकिन ये विदेशी फूल हैं, हरदा में ये उग नहीं पाए। 2 साल तक तो हमें समझ भी नहीं आया कि कैसे इसे उगाया जाए। 2 साल तो हमें ही नुकसान हुआ, लेकिन मैंने हार नहीं मानी।
लॉकडाउन में आया जूस बनाने का आइडिया
पिछले 2 साल से हम नुकसान झेल रहे थे। इंटरनेट पर रिसर्च की। फील्ड से जुड़े एक्सपर्ट्स से बात की। खेतों में अलग तकनीक से काम करना शुरू किया। तीसरे साल खेत लाल रंग के फूलों से लहलहाने लगे। फिर कोरोना आ गया। लॉकडाउन लग गया। समझ नहीं आ रहा था क्या करें। फूलों को ऑस्ट्रेलिया भी नहीं भेज सकते थे। हमने फूलों का जूस बनाकर घर में ही पीना शुरू किया।
मेरा ज्यादातर टाइम रिचर्स में ही जाता था कि फूलों से और क्या-क्या कर सकते हैं। समय बीतता चला गया। पता चला कि फूल का जूस पीकर मम्मी की शुगर ठीक हो गई। हमने सोचा कोरोना में यह फूल सेहत बनाने में भी मददगार है। तो हमने इसका ड्रिंक बनाकर बेचने की ठानी।
फूलों की पत्तियों को सुखाकर बनता है पाउडर
अर्चना ने बताया, जब फूल तैयार हो जाते हैं, तब इसे कटर से काटते हैं। फूल हाथ से नहीं टूटते। हमने फूल सुखाने के लिए खेत में ही जगह बनाई। पत्तियों को कंपनी में ले जाते हैं। यहां दोबारा इसे सुखाया जाता है। इसके बाद फूलों का पाउडर बनता है। पाउडर को पैक कर बाहर भेज देते हैं। पाउडर में कई फ्लेवर्स हैं। दालचीनी, जिंजर, लेमन ग्रास, लौंग और इलायची। इन्हें भी हम खेत में उगाते हैं। सुखाने के बाद पाउडर बनाकर फूलों के पाउडर में मिलाते हैं। हम जूस में चीनी के बजाय मिश्री का इस्तेमाल करते हैं।
गांव की महिलाओं को मिला रोजगार
अर्चना का कहना है कि गांवों में महिलाओं को परिवार के भरण-पोषण का संकट रहता है। मैंने गांव की महिलाओं को फूलों की खेती करने, उन्हें तोड़ने और पाउडर बनाने की प्रक्रिया में शामिल किया है। मैं करीब 40 से 50 महिलाओं को सालभर रोजगार देने में मदद कर पा रही हूं।
हर मार्केट में उपलब्ध है प्रोडक्ट
हम ऑनलाइन, ऑफलाइन हर तरीके से जूस को बेचते हैं। सेज जूस अभी अमेजन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है। आने वाले दिनों में जियो मार्ट, बिग बास्केट समेत अन्य प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट लाएंगे। ऑफलाइन के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स बनाए हैं, जो MP में सेल करते हैं। उत्तराखंड और महाराष्ट्र में भी डिस्ट्रीब्यूटर्स बनाए हैं। इसके अलावा भोपाल, इंदौर समेत अन्य बड़े शहरों के बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के माध्यम से पाउडर बेच रहे हैं।
छह महीने में मिला बड़ा प्लेटफॉर्म
हरदा के किसान परिवार की इस बेटी को फूलों से बनाए एनर्जी ड्रिंक्स को तैयार करने के मात्र छह महीने में बड़ा प्लेटफॉर्म मिल गया। अर्चना का सिलेक्शन इंदौर में होने वाले ग्लोबल समिट के लिए हुआ है, जो 8 से 12 जनवरी होगी। यहां देश के विभिन्न राज्यों से आए युवा उद्यमियों द्वारा उत्पादों को रखा जाएगा। 5 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री सहित देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दो दिन शामिल होंगे।