भोपाल। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 मई को ग्वालियर-चंबल की सभी सीटों पर मतदान होना है। इस क्षेत्र में जैसे-जैसे प्रचार तेजी पकड़ रहा है, वैसे-वैसे नेताओं के सुर तीखे होने लगे हैं। दो दिन पहले पूर्व मंत्री रामनिवास रावत के भाजपा में शामिल होने की अटकलों ने जोर पकड़ा था, अब चंबल के एक और दिग्गज कांगे्रसी पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भी बगावत के मूड में दिखाई दे रहे हैं। हालांकि सिंह का कांगे्रस छोडऩे का कोई इरादा नहीं है, लेकिन उन्होंने भिंड लोकसभा सीट से प्रत्याशी चयन पर पार्टी नेतृत्व को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है।

डॉ. गोविंद सिंह भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट से 7 बार विधायक रहे हैं, लेकिन 2023 में वे भाजपा से चुनाव हार गए हैं। तब से गोविंद सिंह कांग्रेस में हाशिए पर चले गए हैं। लोकसभा टिकट वितरण से लेकर अन्य मामलों में सिंह की राय ही नहीं ली गई, जिससे वे खासे नाराज दिखाई पड़ रहे हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान कांगे्रस नेताओं के पार्टी छोडऩे पर दु:ख जाहिर करते हुए कहा कि जनाधार वाले वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा कर नेतृत्व ऊपर से फैसला करेगा तो पार्टी का नुकसान तो होगा ही। सिंह ने पार्टी नेतृत्व द्वारा टिकट चयन से पहले भेजे जाने वाले पर्यवेक्षकों को लेकर कहा कि वे आते हैं और तफरीह कर चले जाते हैं। ऐसे ही लोगों की सिफारिश पर टिकट तय होते हैं तो फिर पार्टी को चुनाव में नुकसान तो होना ही है। दरअसल, कांगे्रस ने भिंड लोकसभा सीट से विधायक फूलसिंह बरैया को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस के हिसाब से भिंड सीट के लिए बरैया बेहतर प्रत्याशी हैं, जबकि डॉ. गोविंद सिंह पार्टी के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। बरैया विवादित बयान को लेकर विवादों में रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा को लेकर जो बयान दिया था, उसके लिए बरैया ने भोपाल में राजभवन के सामने खुद मुंह काला किया था।