इंदौर। सफाई में पंच लगाने वाले इंदौर का नाम एक बार फिर पारस जैन ने पूरे देश में रोशन किया है। इंदौर के साउथ राजमोहल्ला में रहने वाले पारस जैन ने दिल्ली में हुई मैराथन दौड़ में चौबीस घंटे दौड़कर रिकार्ड बनाया।
पारस चौबीस घंटे में एक सौ पैतालीस किलोमीटर दौड़े। एनईबी स्पोर्ट्स दिल्ली की इस मैराथन दौड़ में लगातार चौबीस घंटे दौड़ने वाले पारस इंदौर के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने इस तरह का रिकार्ड बनाया। पारस अब साउथ अफ्रीका में होने वाली कामरेड रन में दौड़ेंगे। लेह लद्दाख, मुंबई मैराथन, दिल्ली मैराथन सहित कई मैराथन में अव्वल रहने वाले पारस जैन छियालीस बरस की उम्र में भी यूथ आइकॉन बन चुके हैं।
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में गत दिनों हुई चौबीस घंटे की मैराथन दौड़ में इंदौर के पारस जैन ने हिस्सा लिया, तब किसी ने सोचा नहीं था कि पारस पूरे देश में इंदौर का नाम रोशन कर देंगे। इस मैराथन में महिलाओं को चौबीस घंटे में सौ किलोमीटर और पुरूषों को एक सौ दस किलोमीटर दौड़ना जरूरी था। विदेशों से भी धावक इस मैराथन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। चंडीगढ़, लखनउ, पंजाब, हरियाणा, मुंबई, दिल्ली सहित पूरे देश के कई हिस्सों से धावको ने इसमें हिस्सा लिया, लेकिन अधिकतर लोग चौबीस घंटे दौड़ नहीं सके, कई तो रात में सो गए, लेकिन इंदौर के पारस जैन ने अपनी मेहनत और जिद से इस मैराथन को पूरा कर दिया। लगातार वे चौबीस घंटे में एक सौ पैतालीस किलोमीटर दौड़े और रिकार्ड बना दिया। पारस जैन ने अपनी जीत का श्रेय अपने गुरू राजेश पोरवाल, योगेन्द्र व्यास, विजय सोहनी, मनीष गौड़, हर्षल जोशी, इंदौर सुपर चार्जर गु्रप, दशहरा मैदान टीम को दिया। पारस जैन कहते हैं कि उनके पिता सुरेश कुमार जैन, मम्मी तारादेवी जैन के आशीर्वाद से ही ये सब कुछ संभव हो पाया। पारस कहते हैं कि उनकी पत्नी शीतल जैन, बेटी कनिका जैन, बेटा साहिल जैन ने पूरा सपोर्ट किया। बड़े भाई महावीर जैन, भाभी नमिता जैन, भतीजे तनय और जनक के साथ परिवार के सपोर्ट की वजह से ही पारस अपना अपना लक्ष्य पूरा कर पाए।
रोचक बात है कि पारस जैन की बेटी कनिका जैन भी हर साल स्कूल कॉम्पिटिशन में दो ट्रॉफी और पांच मैडल जीतकर लाती है। कनिका बॉस्केट बॉल की खिलाड़ी है, रनिंग भी करती हैं। अपने पिता पारस जैन की तरह बेटी कनिका जैन भी इंदौर का नाम रोशन कर रही है। पारस जैन नेक दिल, ईमानदार और मेहनती इंसान हैं। वे अपनी दुकान पर एक आम व्यक्ति की तरह मेहनत करते हुए भी नजर आ जाते हैं। दुकान के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारी निभाते हुए भी दौड़ में नंबर वन पर रहते हैं। आपको बता दें कि इंदौर में हुई मैराथन में भी पारस जैन नंबर वन पर रहे थे। उन्होंने बयालीस किलामीटर दौड़कर इक्कीस हजार रूपए का पुरस्कार जीता था। पारस केवल रनिंग में ही नहीं, बल्कि साइकिलिंग में भी खिताब जीत चुके हैं। लेह लद्दाख में हुई फुल मैराथन, दिल्ली मैराथन, मुंबई मैराथन दौड़ में भी पारस जैन ने इंदौर का नाम रोशन किया है। छियालीस साल की उम्र में भी जवान नजर आने वाले पारस जैन कड़ी मेहनत करते हैं। प्रेक्टीस के लिए इंदौर से उज्जैन तक दौड़ लगाते हुए पहुंच जाते हैं। साल में दो बार रक्तदान करने वाले पारस जैन साधु-संतों की सेवा करने वाले हैं। वे संत विहार में बीस-बीस किलोमीटर पैदल चलकर संतों की सेवा करते हैं। इस मैराथन दौड़ में हिस्सा लेने के पहले पारस ने संत उपाध्याय रवीन्द्र मुनि जी का आशीर्वाद लिया था। आपको बता दें कि अब पारस जैन साउथ अफ्रीका में होने वाली कामरेड रन में भाग लेंगे। साउथ अफ्रीका में दौड़कर पारस जैन पूरी दुनिया में अपने इंदौर का नाम चमकाने वाले हैं।