भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शुक्रवार को आयोजित 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में मध्यप्रदेश को दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया। प्रदेश की पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर ने ‘मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट’ और पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने नॉन फीचर फिल्म में बेस्ट एथनोग्राफिक फिल्म श्रेणी में ‘मांदल के बोल’ के लिए रजत कमल पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्राप्त किए। साथ ही फिल्म ‘मांदल के बोल’ के निर्देशक राजेंद्र जांगले को भी रजत कमल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 22 जुलाई 2022 को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा की थी।
इस अवसर पर मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि मध्यप्रदेश को मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का पुरस्कार मिलना प्रदेश के लिए सम्मान का पल है। इसके लिए पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ प्रदेश की जनता का भी योगदान है, जिनके कला और कलाकारों के प्रति प्रेम ने प्रदेश को फिल्म फिल्मांकन के लिए अनुकूल बनाया है।
प्रमुख सचिव शुक्ला ने कहा कि प्रदेश की फिल्म नीति में फिल्मकारों को अनुदान, लोक सेवा गारंटी में समय-सीमा में अनुमति प्रदाय, सिंगल विंडो सिस्टम आदि आकर्षक पहलुओं को शामिल किया गया है। मध्यप्रदेश अपने नैसर्गिक सौंदर्य और आकर्षक लोकेशन से फिल्मकारों को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करता है। यह पुरस्कार हमारे लिए फिल्मकारों को और अधिक सुविधा और सहायता देने के लिए प्रेरणा का कार्य करेगा।
मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट अवॉर्ड पाने वाले मध्यप्रदेश में अब तक 350 से ज्यादा फिल्म, सीरियल, वेब सीरिज सहित अन्य परियोजनाओं की शूटिंग हो चुकी हैं। वर्तमान में 7 फिल्म प्रोजेक्ट पिंच, तिवारी, चंदेरी हैंडलूम द वोवेन मोटिफ्स, महल, द मास्टर स्क्वॉड, करतम भुगतम, पराक्रम की शूटिंग चल रही है।
मध्यप्रदेश फिल्म पॉलिसी की खास बातें
मध्यप्रदेश, देश का एकमात्र राज्य है, जिसने परियोजनाओं की अनुमति को लोक सेवा गारंटी अधिनियम में शामिल किया है। अधिनियम में 15 कामकाजी दिवसों में फिल्म शूटिंग की अनुमति का प्रावधान है। साथ ही पहला ऐसा राज्य है जिसने फिल्म निति में दिए जाने वाले अनुदान में वेब सीरीज, ओटीटी ओरिजिनल कंटेंट, टीवी सीरियल एवं डॉक्यूमेंट्री को शामिल किया है। प्रदेश में सभी फिल्मांकन अनुमतियों के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस की सुविधा उपलब्ध है। फिल्म पर्यटन नीति को जिला स्तर पर क्रियान्वित करने के लिए प्रत्येक जिले में एडीएम स्तर के अधिकारी को फिल्मांकन अनुमति के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
मध्यप्रदेश को थिएटर हब कहा जाता है। यहाँ वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों ही कलाकारों की उपलब्धता है। फिल्म निति अंतर्गत राज्य के स्थानीय कलाकारों के लिए अतिरिक्त वित्तीय अनुदान सहित फिल्म क्रू का पर्यटन विभाग के होटल एवं रिसॉर्ट में ठहरने पर छूट का प्रावधान है। साथ ही राज्य में फिल्म उद्योग के विकास के लिए फिल्म सिटी, फिल्म स्टूडियो, कौशल विकास केंद्र आदि स्थापित करने निजी निवेश को प्रोत्साहन एवं आरक्षित भूमि इत्यादि का प्रावधान है|
मांदल के बोल
‘मांदल के बोल’ को नॉन फीचर फिल्म में बेस्ट एथनोग्राफिक फिल्म श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। यह फिल्म मध्यप्रदेश में बैगा जनजाति के जीवन और ग्रामीण परिवेश को प्रदर्शित करती है। मध्य प्रदेश ट्राइबल म्यूजियम द्वारा निर्मित और राजेंद्र जांगले द्वारा निर्देशित 27 मिनट की फिल्म में कमेंट्री और संगीत है। फिल्म के दृश्यों के साथ सुमधुर संगीत फिल्म को बहुत खास बनाते हैं।