जब आप उम्र के उस पड़ाव पर आते हैं जहां कई तरह की जिम्मेदारियां कम हो जाती हैं, ऐसे स्टेज पर कई लोग डिप्रेशन एंग्जाइटी के शिकार हो जाते हैं. लगातार चिंता करने, नकारात्मक सोच और हमेशा बुरा होने का डर भावनात्मक और शारीरिक सेहत पर खराब असर डालने लगता है. इसकी वजह से आप इमोशनली कमजोर महसूस करने लगते हैं और बेचैनी महसूस होती रहती है. इसके कारण अनिद्रा, सिर दर्द, पेट की समस्याएं और मांसपेशियों में तनाव जैसी परेशानियां भी शुरू हो जाती हैं जबकि किसी काम पर ध्‍यान ही नहीं लगता है. अगर आप भी ऐसे हालात से गुजर रहे हैं तो चिंताओं को कंट्रोल करने के लिए कुछ तरीकों की मदद लें.

चिंता दूर रखने के अनोखे तरीके

चिंता करने का समय करें फिक्स
जी हां, अगर आप आपका काम नकारात्‍मक चिंताओं की वजह से प्रभावित हो रहा है तो आप इसके लिए एक टाइम फिक्‍स कर लें. अपने 24 घंटे में से एक घंटा ऐसा निकालें जब आप केवल इन विषयों को लेकर सोचें और उपाय निकालें. इस तरह आप हर वक्‍त चिंता करने से बच जाएंगे.

चिंता के विषयों की बनाएं लिस्‍ट
जब भी आपको लगे कि आप किसी विषय को लेकर परेशान हो रहे हैं तो उन सारी चीजों को एक जगह पर लिखते जाएं. इस तरह आप एक लिस्‍ट बना लेंगे जिन पर आपको चिंतन करनी  है और इनका निदान निकालना है. इस तरह आप अपने 24 घंटे में से 20 मिनट इनके लिए रखें.

परेशानियों को टाले नहीं
अपनी परेशानियों को आप जितना अधिक टालते जाएंगे, ये आपके लिए मुसीबत बनती जाएगी. इसलिए इस लिस्‍ट पर लिखी चीजों को एक एक कर खत्‍म करते जाएं और इनका हल निकालते जाएं. इस तरह आप धीरे धीरे चिंतामुक्‍त होने लगेंगे.

तर्क के साथ करें चैलेंज
अगर आप अपनी चिंताओं को चैलेंज कर दें और यह सोचें कि इनके बारे में सोचकर आप क्‍या कर लेंगे तो आप यह महसूस करेंगे कि आधे से अधिक परेशानियां ऐसी हैं, जो दरअसल, ना तो आपका कुछ बिगाड़ सकती हैं और ना ही आप इसका इलाज निकाल सकते हैं. इसलिए इन्‍हें बेकार समझें और लाइफ में आगे बढ़ें.

योग और ध्‍यान करें
अपने मन को भटकने और बेवजह की निगेटिव सोच के साथ जीवन जीने से बेहतर होगा कि आप अपने लाइफ स्‍टाइल में योग और ध्‍यान को शामिल करें. इस दौरान आप उन चीजों पर ध्‍यान लगाएं जो आपके हाथ में है. इस तरह आप पाएंगे कि परेशानियां आपके मानसिक सेहत को नुकसान नहीं पहुंचा पा रहीं और आप उनकी वजह से तनाव में नहीं हैं. इस तरह आप अपनी आगे की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक सोच के साथ काम करें.