हर साल लाखों छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। कोटा, हैदराबाद, दिल्ली, पटना जैसे शहरों में कोचिंग संस्थानों का माहौल बेहद प्रतिस्पर्धी होता है। इसी बीच राजस्था के कोटा से एक बेहद दर्दनाक मामला सामने आया है। बता दें कि देशभर में रविवार को नीट-यूजी 2025 की परीक्षा आयोजित की जा रही है। वहीं कोटा में नीट-जेईई की तैयारी करानेवाली छात्रा ने खुदकुशी कर लिया है। यह घटना कोटा के पार्श्वनाथ विहार में हुई है। वहीं पुलिस ने छात्रा के शव को लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया था जिसके बाद अब छात्रा का शव परिजनों को सौंप दिया गया है।
कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला
फिलहाल, छात्रा ने सुसाइड क्यों किया, पुलिस इसकी जांच कर रही है। छात्रा के कमरे से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है। वहीं अगर हम बात मीडिया रिपोर्ट्स की करें तो यह दावा किया जा रहा है कि छात्रा परीक्षा का तनाव नहीं झेल पाई, जिसकी वजह से उसने यह कदम उठाया।
डॉक्टरों ने जांच के दौरान मृत घोषित…
वहीं पुलिस ने इस मामले पर बताया कि घटना के समय माता-पिता घर पर नहीं थे। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, 3 मई को रात करीब 9 बजे पुलिस को सूचना मिली थी कि पार्श्वनाथ विहार में एक छात्रा ने फांसी लगा ली है। मौके पर पुलिस पहुंची और कमरे से छात्रा के शव को कस्टडी में लेकर उसे स्थानीय अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने जांच के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया. इसके बाद शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया है।पुलिस अधिकारियों के अनुसार, घटना स्थल से सुसाइड नोट नहीं मिला है। इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई परेशान है। पर हमें खुदकुशी जैसे कृत्य के लिए कभी सोचना नहीं चाहिए। इस बीच आज हम आपको यह भी बताएंगे की जब कभी भी आप दबाव महशूश करें तो क्या करें और क्या नहीं करें। आइए जानते है नीचे दिए गए कुछ वाक्यों के माध्यम से …
पढ़ाई का दबाव और अपेक्षाओं का बोझ
छात्रों पर न केवल विषयों की तैयारी का दबाव होता है, बल्कि माता-पिता की उम्मीदें, सोशल मीडिया की तुलना और खुद की असफलता का डर भी मानसिक रूप से उन्हें तोड़ सकता है। यह देखा गया है कि जो छात्र पढ़ाई में अच्छे होते हैं, वो भी अंदर से भावनात्मक रूप से टूट सकते हैं।
खुदकुशी नहीं, समाधान खोजें
कोटा में नीट की तैयारी कर रही एक 17 वर्षीय छात्रा की आत्महत्या एक बार फिर हमें यही याद दिलाती है—अकेलापन, तनाव और असफलता का डर, किसी को भी इस हद तक ले जा सकता है। लेकिन आत्महत्या कोई समाधान नहीं है। यह न केवल एक जिंदगी खत्म करती है, बल्कि परिवार, शिक्षक और समाज के लिए भी एक गहरी चोट छोड़ जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण, जिन्हें नजरअंदाज न करें
– लगातार उदासी या चुप्पी
–नींद की कमी या ज़रूरत से ज्यादा नींद
–खुद को असफल या बोझ समझना
–सोशल या फैमिली लाइफ से दूरी
–बार-बार आत्महत्या जैसे विचार आना
क्या करें जब लगे कि कुछ ठीक नहीं है?
- किसी भरोसेमंद दोस्त, माता-पिता या शिक्षक से खुलकर बात करें
- मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार या काउंसलर की मदद लें
- पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक आराम के लिए समय निकालें
- असफलता को अंत नहीं, सीखने का मौका मानें
- योग, मेडिटेशन, म्यूज़िक, स्पोर्ट्स जैसी चीज़ें अपनाएं
माता-पिता और शिक्षकों से अपील
बच्चों को सिर्फ नंबर लाने वाली मशीन न समझें। उन्हें प्यार, समझ और भरोसा दें। उनकी भावनाओं को सुनें। उनके साथ हर स्थिति में खड़े रहें। याद रखें, “बच्चा अगर नंबर से हार गया, तो वो दुनिया से भी हार सकता है।”