ग्वालियर। महासभा के कार्यकर्ता पिछले हफ्ते अंबाला की जेल से मिट्टी लाए थे। इसी जेल में गोडसे और नारायण आप्टे को महात्मा गांधी की हत्या के अपराध में 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गई थी। हिंदू महासभा ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी। हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ जयवीर भारद्वाज ने ग्वालियर में मीडिया से कहा कि इस मिट्टी से गोडसे और आप्टे की प्रतिमा बना कर उन्हें ग्वालियर में महासभा के कार्यालय में स्थापित किया जाएगा।डॉ। भारद्वाज ने कहा कि महासभा के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को मेरठ (उत्तर प्रदेश) के ‘बलिदान धाम’ में गोडसे और आप्टे की प्रतिमाएं स्थापित कीं। उन्होंने कहा, ‘‘ हम हर राज्य में इस तरह के बलिदान धाम का निर्माण करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि ग्वालियर जिला प्रशासन ने यहां महासभा के कार्यालय में स्थापित गोडसे की प्रतिमा को 2017 में जब्त कर लिया था जिसे अब तक नहीं लौटाया गया।

  भारद्वाज ने आरोप लगाया कि 1947 में देश के विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार थी, जिसके कारण बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या हुई। इस बीच, ग्वालियर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सोमवार को यहां हिंदू महासभा का कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हुआ। अब तक यहां कोई प्रतिमा नहीं लगाई गई है और संगठन की गतिविधियों पर पुलिस नजर रखे हुए है। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और 30 जनवरी 1948 की शाम नाथू राम गोडसे ने महात्मा गांधी के सीने में तीन गोलियां उतार दीं थी। इस अपराध पर नाथूराम को फांसी की सजा सुनाई गई और 15 नवंबर 1949 को उन्हें फांसी हुई।

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