इंदौर। दिगम्बर जैन समाज के आचार्यश्री विद्यासागरजी के चरणों से इंदौर की धरती भी पावन हुई थी। 5 जनवरी 2020 को 20 साल बाद जब विद्यासागरजी का इंदौर में मंगल प्रवेश हुआ था तो लोगों की भीड़ इस तरह उमड़ी कि उसे नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। दो माह के प्रवास के दौरान उन्होंने सहस्रकूट जिनालय के साथ आठ जिनालयों का पंचकल्याण भी किया। देशभर से उनके दर्शन के लिए समाजजन अहिल्या की नगरी में एकत्रित हुए। इस दौरान रेवती रेंज में प्रतिभा स्थली का उद्घाटन, सम्मेदशिखरजी जाने वाली विद्यासागर ट्रेन, पुस्तक का विमोचन सहित कई कार्यक्रम हुए। इस अवसर पर जिनालयों पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई।

कई भाषाओं में पुस्तकें लिखीं
कन्नड़ भाषी होते हुए भी विद्यासागरजी ने हिन्दी, संस्कृत, कन्नड़, प्राकृत, बांग्ला और अंग्रेजी में लेखन किया है। उन्होंने ‘निरंजन-शतकं’, ‘भावना-शतकं’, ‘परीषह-जय-शतकं’, ‘सुनीति-शतकं’ व ‘श्रमण-शतकं’ नाम से पांच शतकों की रचना संस्कृत में की है तथा स्वयं ही इनका पद्यानुवाद भी किया है। उनके द्वारा रचित संसार में सर्वाधिक चर्चित काव्य प्रतिभा की चरम प्रस्तुति है- ‘मूकमाटी’ महाकाव्य।

रेवती रेंज में शिलान्यास देश में पांच प्रतिभा स्थली
आचार्यश्री के मार्गदर्शन में पांच स्थानों पर प्रतिभा स्थली संचालित हो रही है। इनमें जबलपुर, डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़, रामटेक महाराज, टीकमगढ़ पपोराजी और इंदौर के नाम शामिल हैं।

नौकरी-व्यवसाय छोड़ 72 लोग आए संत की शरण में
देशभर में आचार्यश्री के 72 ऐसे शिष्य हैं, जो ऊंचे प्रशासनिक पद छोडक़र उनके शिष्य बने हैं। इनमें डॉक्टर-वकील के साथ ही विदेश में कंपनियों में ऊंचे ओहदे पर कार्यरत थे। इनमें ब्रह्मचारिणी विजयलक्ष्मी हरदा में डिप्टी कलेक्टर थीं। इनके साथ ही ब्रह्मचारी अमित अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर और ब्रह्मचारिणी रेखा दीदी डीएसपी का पद छोडक़र वैराग्य की मार्ग पर चल पड़ीं।

थोड़ा सा जानिए आचार्यश्री को

  1. कोई बैंक खाता नहीं, कोई ट्रस्ट नहीं, कोई जेब नहीं, कोई मोह माया नहीं, अरबों रुपए जिनके ऊपर निछावर होते हैं, उन गुरुदेव ने कभी धन को स्पर्श नहीं किया।
  2. आजीवन चीनी का त्याग
  3. आजीवन नमक का त्याग
  4. आजीवन चटाई का त्याग
  5. आजीवन हरी सब्जी का त्याग, फल का त्याग, अंग्रेजी औषधि का त्याग,सीमित ग्रास भोजन, अंजुली जल, 24 घण्टे में एक बार आहार
  6. आजीवन दही का त्याग, सूखे मेवे का त्याग
  7. आजीवन तेल का त्याग
  8. सभी प्रकार के भौतिक साधनों का त्याग
  9. थूकने का त्याग
  10. एक करवट में शयन बिना चादर, गद्दे, तकिए के सिर्फ तखत पर किसी भी मौसम में
  11. पूरे भारत में सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले
  12. एक ऐसे संत, जो सभी धर्मों में पूजनीय
  13. ऐसे आचार्य जिनका लगभग पूरा परिवार ही संयम के साथ मोक्षमार्ग पर चल रहा है
  14. शहर से दूर खुले मैदानों में नदी के किनारों पर या पहाड़ो पर अपनी साधना करना
  15. अनियत विहारी यानि बिना बताए विहार
  16. प्रचार प्रसार से दूर- मुनि दीक्षाएं, पिच्छी परिवर्तन इसका उदाहरण
  17. आचार्य देशभूषण महाराज जब ब्रह्मचारी व्रत के लिए स्वीकृति नहीं मिली तो गुरुवर ने व्रत के लिए 3 दिवस निर्जला उपवास किया और स्वीकृति लेकर माने

सेवा के कई प्रकल्प चल रहे हैं विद्यासागरजी के सान्निध्य में
स्वास्थ्य…मानव कल्याण के लिए सागर में चिकित्सालय की स्थापना। यहां पर रोजाना 2000 से ज्यादा लोग ओपीडी में स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। शिक्षा… इंदौर, जबलपुर, रामटेक, डोंगरगढ़, ललितपुर में ज्ञानोदय विद्या स्कूल के नाम से सीबीएसई पद्धति पर हजारों विद्यार्थियों को शिक्षा दी जा रही है। इन संस्थाओं की खास बात यह है कि यहां पर ब्रह्मचारी दीदी विद्यार्थियों को शैक्षणिक गतिविधियां संचालित करती हैं। देशभर में 2000 से ज्यादा गौशालाएं महाराजजी के मार्गदर्शन में संचालित की जा रही हैं। हथकरघा को बढ़ाने के लिए देश में ढाई सौ से 300 स्थानों पर संचालित हो रहा हैं। कमल अग्रवाल, दयोदय चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट इंदौर

पीएम मोदी ने भी किए थे दर्शन
नवंबर में छत्तीसगढ़ चुनाव से पहले पीएम मोदी ने भी आचार्य विद्यासागर महाराज के दर्शन किए थे और उनका आशीर्वाद लिया था। आचार्य विद्यासागर महाराज जनकल्याण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने गरीबों से लेकर जेल के कैदियों तक के लिए काम किया। आचार्य विद्यासागर महाराज का देश के लिए हमेशा से कहना था कि इंडिया नहीं भारत बोलो और वे हमेशा से हिंदी राष्ट्र और हिंदी भाषा को बढ़ाने में अग्रसर रहे।