भोपाल, देश में इन दिनों सुर्खियां बटोर रहे बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अब उमा भारती का समर्थन मिला है. रविवार को ट्वीट कर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपने बेटे समान बताया है. उमा भारती ने ट्वीट में लिखा, ‘धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम) को मैं पुत्रवत मानती हूं, उनका आदर करती हूं एवं वह हमारे क्षेत्र के गौरव हैं.”

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि उनकी (धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री) महिमा की अनुभूति स्वयं मुझे आज एक प्रसंग में हुई. अगर 31 जनवरी को शराब नीति सरकार ने घोषित कर दी होती तो 21 फरवरी को या तो विरोध या समर्थन के लिए हमने जंबूरी मैदान भोपाल में रैली बुलाने का फैसला किया था. शराब नीति की घोषणा में हुई देरी ने हमें प्रोग्राम का स्थान बदलने को विवश किया.

4 दिन होती रही आनंद की अनुभूति
जब मेरी पसंद पूछी गई तो मैंने फिर दुर्गा हनुमान मंदिर, अयोध्या बाईपास और भोपाल का ही नाम लिया, क्योंकि 21 फरवरी को मेरी मां का स्मृति दिवस है तो हमें प्रोग्राम करना ही था. जिस स्थान पर 4 दिन रही, उस समय की अनुभूति का वर्णन किया. जिस जगह पर मेरी कॉटेज बनी, उस जगह पर अलौकिक आनंद की अनुभूति मुझे 4 दिन होती रही.

अब तो और जोर से यह बात कहूंगी
उमा भारती ने आगे लिखा, ‘जब मैंने अपने सहयोगियों से इसका जिक्र किया तो उन्होंने मुझे बताया कि पिछले वर्ष धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम की कथा पीछे के मैदान में हुई थी. तब बागेश्वर धाम की कुटिया वहीं बनी थी. जहां मैं थी वहां की अनुभूतियों की अलौकिकता ने मन के अंदर यह भाव स्थापित कर दिया कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक तपस्वी और अलौकिक हैं. लोग उनके अधिक से अधिक जाकर दर्शन करें, यह मैंने हमेशा कहा है. अब तो और जोर से यह बात कहूंगी.’

हिंदू राष्ट्र का मतलब सर्व धर्म समन्वय
उधर, बागेश्वर धाम में शुरू होने जा रहे धार्मिक महाकुंभ को लेकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदू राष्ट्र का मतलब सर्व धर्म समन्वय है. हमें किसी पंत से मतलब नहीं. बार-बार सनातन धर्म की जो अवहेलना की जाती है, उस अवहेलना से बचने-बचाने के लिए भारत को हिंदू राष्ट्र होना जरूरी है.

जातियां तो होंगी पर जातिवाद नहीं होगा
वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को लेकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आप हमारी कल्पना समझ ही नहीं रहे हैं. भारत हिंदू राष्ट्र होगा तो सौहार्द और एकता होगी. जातियां तो होंगी पर जातिवाद नहीं होगा.