भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद कांग्रेस मे प्रदेश कांग्रेस में बड़ा फेरबदल किया है। पिछले साढ़े 5 साल से पीसीसी चीफ रहे कमलनाथ को पार्टी ने पद से हटा दिया है। उनकी जगह पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके साथ ही एमपी कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष के पद पर उमंग सिंघार और उप नेता प्रतिपक्ष के पद पर हेमंत कटारे को नियुक्त किया है। दिग्विजय सिंह कैंप के माने जाने वाले जीतू पटवारी हालांकि इस बार इंदौर की राउ सीट से विधानसभा चुनाव हार गए हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें संगठन को दुरुस्त करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। जीतू कमलनाथ सरकार में मंत्री रहने के साथ ही युवक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं।
कांग्रेस ने जताया युवा नेताओं पर भरोसा

प्रदेश में अब तक उम्रदराज नेताओं को ही कांग्रेस की अहम जिम्मेदारी मिली हुई थी। विधानसभा चुनाव तक बुजुर्ग नेता 77 वर्षीय कमलनाथ पीसीसी के चीफ थे। एमपी में नेता प्रतिपक्ष का पद भी सीनियर लीडर डॉ गोविंद सिंह के पास था, जिनकी उम्र 72 साल से अधिक है। इस बार पार्टी ने हार से सबक लेते हुए 50 साल के जीतू पटवारी को पीसीसी चीफ बनाया है जबकि 49 साल के उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष और 38 साल के हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है। पार्टी को यही उम्मीद है कि अपने पूर्ववर्तियों से अपेक्षाकृत ज्यादा युवा ये नेता कांग्रेस की गिरती हुई साख को सुधार लेंगे।
विवादों से भी घिरे रहे हैं पटवारी
जीतू पटवारी की बात करें तो वे दो बार विधायक रहे हैं और कमलनाथ की सरकार में उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री पद का जिम्मा संभाल चुके हैं। हालांकि उनके साथ विवाद भी जुड़े रहे हैं। उनके द्वारा मंत्री रहते हुए अक्टूबर 2019 में एक पटवारी को चोर कहे जाने के बाद मामले ने खूब तूल पकड़ा था और प्रदेश भर के पटवारी हड़ताल पर चले गए थे। दिग्विजय सिंह के कैंप के माने जाने वाले पटवारी को एक बार सदन से निलंबित भी किया जा चुका है। जीतू ने बीजेपी के राज में सरकारी पैसे से भाजपा दफ्तर में पार्टी कार्यकर्ताओं को खाना खिलाने के आरोप लगाए थे। इस मामले पर सरकार की तरफ से दस्तावेज पेश कर जीतू पटवारी पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद उन्हें विधानसभा सत्र से निलंबित किया गया था।
सिंघार और कटारे पर भी गंभीर मामले हो चुके हैं दर्ज
लगातार चार बार से गंधवानी सीट से जीतकर विधायक बन रहे उमंग सिंघार एमपी में कमलनाथ सरकार में वन मंत्री के साथ ही झारखंड चुनाव में प्रदेश के सह प्रभारी थे। झारखंड में जीत दिलाने के बाद उन्हें प्रदेश कांग्रेस का भी बड़ा आदिवासी चेहरा माना जाने लगा था। हालांकि सिंघार के खिलाफ उनकी पत्नी ने ही हिंसा और यौन प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, जेस इंदौर हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था। मंत्री रहते हुए सिंघार ने पार्टी के ही सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगा दिए थे, हालांकि इस बार के विधानसभा नतीजों के बाद उन्होंने इस मामले में दिग्विजय सिंह से माफी मांग ली थी। बात हेमंत कटारे की करें तो वे भी दो बार के विधायक है, लेकिन विवादों के साथ उनका भी गहरा नाता रहा है। भोपाल में पत्रकारिता की एक छात्रा के अपहरण और बलात्कार के आरोप में उनके खिलाफ भोपाल पुलिस ने मामला दर्ज किया था। एमपी के पूर्व नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे पर एक दलित को निशाना बनाने और उन पर हमला करने का भी आरोप लगा था। इस बार उन्होंने अटेर सीट से बीजेपी सरकार में मंत्री रहे अरविंद भदौरिया को पराजित किया था।