भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बीती देर रात एक बजे तक चर्चा चलती रही। सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर 12 घंटे 16 मिनट चर्चा चली है। आज सुबह सदन की बैठक शुरू होते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देने के लिए खड़े हुए तो विपक्षी सदस्यों ने माता सीता को लेकर विधायक रामेश्वर शर्मा और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव को लेकर दिए गए बयान पर माफी मांगने पर अड़ गए।
दोनों ओर से हंगाना शुरू हो गया, इस बीच मुख्यमंत्री बैठ गए। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि मैं उच्च शिक्षा मंत्री की अनुपस्थिति में उनकी तरफ से माफी मांगता हूं। विधायक रामेश्वर शर्मा ने अपने बयान पर खेद प्रकट किया। इसके बाद हंगामा शांत हुआ और मुख्यमंत्री ने जवाब देना शुरू किया।
मुख्यमंत्री सुबह 11 बजकर 11 मिनट पर जवाब देने के लिए खड़े हुए और सबसे पहले गुरुगोविंद सिंह के पुत्रों के शहीदी सप्ताह में उन्हें याद किया और फिर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की मां के अस्वस्थ होने पर उनके दीर्घायु की कामना की। इकसे बाद कहा कि मुझ पर कांगे्रस सरकार गिराने के आरोप लगाते हैं। भाजपा पर यह आरोप लगाया जाता है, कांगे्रस सरकार क्यों गई ये खुद सोचें। वल्लभ भवन दलालों का अड्डा बन गया था। विपक्षी सदस्य हर बात के दस्तावेज मांगते हैं। मैं यह बात ऑन रिकॉर्ड कह रहा हूं कि कांगे्रस की सरकार में वल्लभ भवन दलालों का अड्डा बन गया था।
अधिकारियों के इतने अधिक स्थानांतरण तो 2003 से पहले कांगे्रस की दिग्विजय सिंह की सरकार मेें भी नहीं थे। उस समय भी एसपी और कलेक्टर के स्थानांतरण को लेकर पैसे नहीं मांगे जाते थे। इस पर विपक्षी सदस्य सचिन यादव और अन्य ने हंगाना करना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष बिना तथ्यों के आरोप लगाने की कह रहा है। मैं पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी का एक अधिकारी के साथ स्थानांतरण को लेकर हो रही बातचीत का ऑडियो कर दूं। आप लोग चाहोगे तो इसे सार्वजरिक कर दूंगा।
450 आईएएस-आईपीएस के तबादले किए
मुख्यमंत्री ने कहा, कमलनाथ सरकार में 165 दिन में 450 आईएएस और आईपीएस के ट्रांसफर किए। 15 हजार से ज्यादा तबादले किए गए। वल्लभ भवन दलालों का अड्?डा बन गया था। सीएम के ओएसडी का जो वीडियो वायरल हुआ, उसके कारण भ्रष्टाचार की विष बेल ऐसी फैली कि पूरे मप्र में त्राहि-त्राहि मच गई। अगर पूछ रहे तो मैं बताना चाहता हूं कि एक नहीं, कई मामले हैं। सिंचाई परियोजना में घोटाला किया गया। विधायकों को मिलने के लिए समय नहीं दिया जाता था। विधायकों से कहते थे चलो-चलो। कोई बड़ा ठेकेदार आ जाए, तो उसे बैठाते थे। मुख्यमंत्री के भाषण पर विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया।
कमलनाथ की सरकार में पैसे लेकर अधिकारी बदले गए
मुख्यमंत्री ने कहा- आपने पांच महान काम किए। इस पर विधायक लक्ष्मण सिंह ने सीएम को टोकते हुए कहा कि अविश्वास के विषय पर जवाब दें। सीएम ने फिर कहा- कमलनाथ की सरकार ने भ्रष्टाचार का लोकव्यापीकरण किया। कभी कलेक्टर-एसपी की पोस्टिंग में पहले पैसे नहीं लिए गए। लेकिन, कमलनाथ जी की सरकार में पैसे लेकर कई अधिकारी बदले गए। तीन-तीन कलेक्टर बदले।
बात ये होती थी कि कौन कितने ज्यादा देने वाला है। मप्र के इतिहास में पदों की बंदरबांट की गई। अभी इसकी जांच चल रही है। मुख्यमंत्री के इस बयान पर खरगोन की कसरावद सीट से विधायक सचिन यादव ने कहा कि इनके पास प्रमाण हैं क्या? सीएम ने जवाब देते हुए कहा- मामला लोकायुक्त में चल रहा है।
सरकार हमने नहीं इनके पापों से गिरी है
इससे पहले मुख्यमंत्री ने कहा कि ने कहा- हर बार ये कहा जाता है कि हमने सरकार गिराई। 11 दिसंबर को रात में कांग्रेस 110-112 सीटों पर आगे थी। रात में ये निश्चय करके सोया था कि सुबह इस्तीफा दे दूंगा। कई मित्रों का कहना था कि बहुमत तो उनका नहीं है। मैं सीएम हाउस में था। भूपेंद्र जी आए। मुझे जोर देकर कहा गया कि इस्तीफा नहीं देना है, लेकिन मैंने कहा कि मेरा जमीर अनुमति नहीं देता। कांग्रेस की संख्या ज्यादा है। मैं सीधे घर से निकला और मीडिया से कहा कि मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं।
सरकार आते ही आदिवासियों का पैसा बंद कर दिया
सीएम ने कहा, कमलनाथ सरकार ने कई योजनाओं को बंद करने का काम किया। ओमकार (डिंडौरी विधायक) आपके क्षेत्र में बैगा, सहरिया, भारिया तीन अति पिछड़ी जातियों को हमने तय किया था कि पोषण भत्ते के नाम पर एक हजार रुपए महीना दिया जाए। सरकार आते ही। हीरालाल (मनावर विधायक) सुन लेना जनजाति के बड़े पैरोकार हैं आप। कभी आपने आवाज उठाई ये पैसा क्यों बंद कर दिया?